Special Trains For Bihar: त्योहारों का सीजन चल रहा है. ऐसे में अधिकतर लोग ट्रेनों से अपने घर जाते हैं. सबसे ज्यादा लोग अलग अलग राज्य से बिहार जाते हैं. इस दौरान ट्रेनों में यात्रियों की संख्या में इतनी वृद्धि हो जाती है जितनी पूरे साल में कभी नहीं देखी जाती. वहीं रेलवे के लिए यह सबसे व्यस्त समय होता है. दिवाली, छठ पूजा और फिर शादियों का मौसम – यही वो समय होता है जब शहरों में रहने वाली एक बड़ी आबादी अपने पूरे परिवार के साथ त्योहारों और शादियों में शामिल होने निकल पड़ती है. यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि की वजह से न केवल नियमित ट्रेनें, बल्कि स्पेशल ट्रेनों में भी सीटों की कमी हो जाती है. दिल्ली से यूपी होते हुए बिहार जाने वाली ट्रेनों में सीटों के लिए सबसे ज़्यादा मारामारी होती है. यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने उन रूटों की पहचान की है जहां सबसे ज़्यादा मांग है.
सबसे ज्यादा इन रूटों पर दौड़ती हैं स्पेशल ट्रेनें
आपको बता दें, रेलवे ने दिल्ली से बिहार जाने वाले छह रूटों की पहचान की है जहां सीटों की मांग सबसे ज़्यादा है. इसके बाद, रेलवे ने इन रूटों पर कई स्पेशल ट्रेनें चलाने का फ़ैसला किया है. इन रूटों में पटना, गया, दरभंगा, भागलपुर, समस्तीपुर और धनबाद शामिल हैं. इस साल रेलवे ने त्योहारों के लिए पिछले साल की तुलना में दोगुनी स्पेशल ट्रेनों की घोषणा की है. इतना ही नहीं पिछले साल दिल्ली-पटना रूट पर स्पेशल ट्रेनों के 280 फेरे लगाए गए थे, जिन्हें इस साल बढ़ाकर 596 किया जा रहा है. पिछले साल दिल्ली से पटना के लिए एक स्पेशल वंदे भारत ट्रेन चली थी. इस बार दो स्पेशल वंदे भारत ट्रेनें चलेंगी, जो लगभग एक महीने की अवधि में 65 फेरे लगाएंगी.
उत्तर प्रदेश और बिहार में भी स्पेशल ट्रेनों की बढ़ी संख्या
वहीं, रेलवे ने संचालित विशेष ट्रेनें दिल्ली-समस्तीपुर रूट पर 246, दिल्ली-गया रूट पर 206, दिल्ली-भागलपुर रूट पर 164, दिल्ली-धनबाद रूट पर 144 और दिल्ली-दरभंगा रूट पर 126 फेरे लगाएंगी. भारतीय रेलवे पटना, गया, दरभंगा, भागलपुर, समस्तीपुर और धनबाद रूटों के साथ-साथ सहरसा, जयनगर, प्रयागराज, वाराणसी और छपरा सहित बाकी रूटों पर बड़ी संख्या में विशेष ट्रेनों का संचालन कर रहा है ताकि यात्रियों के लिए कन्फर्म सीटों की अधिकतम उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके और सफर आसान हो सके.
कौन हैं सूरजभान सिंह, RJD में हुए शामिल, क्या मोकामा में बाहुबली अनंत सिंह का कर पाएंगे सियासी अंत?

