Diwali Firecrackers: जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आ रही है, एक बार फिर पटाखों पर बैन को लेकर बहस तेज हो गई है. बढ़ते वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य संकट को देखते हुए देश के कई राज्यों ने पटाखों की बिक्री और उपयोग पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. प्रशासन का कहना है कि यह फैसला नागरिकों की सेहत और पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. वहीं अब मशहूर हिंदी कवि डॉ. कुमार विश्वास ने आतिशबाजी को लेकर एक अहम बयान दिया है.
मुंबई में आयोजित एक कवि सम्मेलन के दौरान, उन्होंने यूक्रेन-रूस युद्ध का हवाला देते हुए दिवाली पर पटाखों का विरोध करने वालों पर तंज कसते हुए करारा जवाब दिया है. कवि कुमार विश्वास का ये बयान खूब सुर्खियां बटोर रहा है.
कुमार विश्वास ने कसा तंज- गोले-बारुद से ओजोन सुरक्षित रही
मुंबई के षणमुखानंद हॉल में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. विश्वास ने कहा, “पिछले तीन वर्षों से यूक्रेन और रूस आपस में युद्ध कर रहे हैं. इस दरम्यान उन्होंने भारी मात्रा में गोला-बारूद बर्बाद किया. गाजा में भी यही स्थिति है.” उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि इतने बड़े पैमाने पर हुए युद्ध के बावजूद ओजोन परत सुरक्षित रही.
चार फुलझड़ियों से ओजोन परत में एक बड़ा छेद हो जाएगा
डॉ. विश्वास ने भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसके बाद पाकिस्तान के साथ उपजे तनाव को भारत का ‘वॉर्मअप’ बताते हुए कहा कि इन घटनाओं से ओजोन परत पर कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने व्यंग्यपूर्ण लहजे में कहा कि दिवाली पर जलाई गई चार फुलझड़ियों से ओजोन परत में एक बड़ा छेद हो जाएगा.
उन्होंने आगे तंज कसा, “ओजोन में चार फुलझड़ियों से इतना बड़ा छेद हो जाएगा कि उसमें से बहुत सारे बुद्धिजीवी ऊपर जाएंगे और नीचे आएंगे.” उनका यह बयान आतिशबाजी के पर्यावरणीय प्रभावों पर चल रही बहस को संबोधित करता है.
हिंदू त्योहारों को निशाना बनाने की एक सुनियोजित साजिश
गौरतबह है कि हर बार की तरह इस बार भी पटाखों को बैन किए जाने का मांग को हिंदू त्योहारों को निशाना बनाने की एक सुनियोजित साजिश ही मानी जा रही है. पर्यावरण को केवल एक बहाना बनाया जाता है. हिंदू संगठनों और समर्थकों का कहना है कि न्यू इयर के जश्न और दुनिया भर में आतिशबाजी होती है लेकिन उस पर कोई आपत्ति नहीं की जाती लेकिन दिवाली पर एक दिन पटाखा जलाने से पर्यावरण को नुकसान होने का हवाला दिया जाने लगता है.

