Indian Navy Indigenous SRGM : आत्मनिर्भर भारत अभियान में भारतीय नौसेना तेजी से आगे बढ़ रही है। विमानवाहक पोत से लेकर युद्धपोत, पनडुब्बी से लेकर एंटी-सबमरीन टॉरपीडो तक सब स्वदेशी हैं। नौसेना के हर युद्धपोत की मुख्य गन SRGM यानी सुपर रैपिड गन माउंट गन है। अभी तक यह गन इटली की कंपनी OTO मेलारा से खरीदी जा रही थी। अब इसे भारतीय कंपनियों से खरीदा जाएगा। डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने SRGM प्रोजेक्ट के AON यानी एक्सेप्टेंस ऑफ नेसेसिटी को मंजूरी दे दी है।
BHEL बना रही है सुपर रैपिड गन माउंट
जानकारी के लिए बता दें कि साल 1994 से हरिद्वार स्थित भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड नौसेना और कोस्ट गार्ड के शिप के लिए सुपर रैपिड गन माउंट गन का निर्माण कर रही है। इटली की कंपनी OTO Melara से लाइसेंस प्रोडक्शन के तहत इसे बनाया जा रहा है। इसके अलावा 2023 में 16 अपग्रेडेड गन और अन्य साजो सामान को लेकर रक्षा मंत्रालय ने BHEL हरिद्वार
के साथ डील की थी।
रिपोर्ट्स इस डील की कीमत 2956.89 करोड़ रुपये थी। प्रोजेक्ट 17A के तहत 7 नीलगिरी गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ फ्रीगेट नौसेना के लिए बनाए जा रहे हैं. इसी अपग्रेडेड SRGM की पहली गन इसी साल नौसेना में शामिल किए गए INS नीलगिरि में लगाई गई है। MDL और GRSE में बन रहे बाकी सभी स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रीगेट में यही अपग्रेडेड गन लगनी है।
SRGM की ताकत से उड़ेंगे दुश्मन के होश
सुपर रैपिड गन माउंट की ताकत की बात करें तो इसकी स्पीड के आगे फाइटर जेट की स्पीड भी फीकी पड़ जाएगी। इस गन से एक मिनट में 120 राउंड फायर किए जा सकते हैं। इस गन की बैरल की लंबाई 4588 मिलीमीटर है। इससे 76 एमएम राउंड फायर किए जाते हैं।
यह 15 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद दुश्मन के फाइटर जेट को तबाह कर सकती है। यह मीडियम कैलिबर की एंटी मिसाइल एंटी एयरक्राफ्ट गन है। इसकी खासियत इसकी रेट ऑफ फायर और एक्यूरेसी है। इस हथियार की खासियत एक साथ कई टारगेट को भेदना है। यह तेज गति से चलने वाले क्राफ्ट और मिसाइलों के खिलाफ सबसे बेहतर है। इसे पूरी तरह रिमोट कंट्रोल के जरिए ऑपरेट किया जाता है।
इसके अलावा एसआरजीएम की बैरल भी देश में ही बनेगी। पहले ऐसा नहीं था। लेकिन अब इस गन की बैरल कानपुर की फील्ड गन फैक्ट्री में तैयार हो रही है। पिछले महीने ही एसआरजीएम की दो बैरल भारतीय नौसेना को सौंपी गई हैं। ऐसा पहली बार हुआ है और नौसेना को सौंपी गई बैरल स्वदेशी बैरल की पहली खेप है। अब आने वाले दिनों में जितने भी नए युद्धपोत शामिल किए जाएंगे, उनमें भी यह स्वदेशी बैरल होगी। चूंकि अब यह बैरल भारत में ही तैयार हो रही है, इसलिए इसकी कीमत भी पहले से कम होगी।
भारत से भगाए गए इस ‘रॉयल’ देश की टुच्ची हरकत? 20 दिन से ऐसा क्या चल रहा है…पोल खुली तो मचा बवाल

