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Ashok Gehlot: अशोक गहलोत ने बता दी जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की असल वजह, सुन बीजेपी को लगेगा 440 वोल्ट का झटका

Ashok Gehlot: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने जयपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्र सरकार पर तीखा और सीधा हमला बोला। उन्होंने उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को 'दबाव की उपज' बताया।

Published by Sohail Rahman

Ashok Gehlot on Jagdeep Dhankhar Resignation: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने जयपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्र सरकार पर तीखा और सीधा हमला बोला। उन्होंने उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को ‘दबाव की उपज’ बताया। उन्होंने कहा कि आज संवैधानिक संस्थाएं खुलेआम सत्ता के इशारे पर काम कर रही हैं। गहलोत ने यह भी दावा किया कि यह लोकतंत्र नहीं, बल्कि ‘केंद्रीय कमान की तानाशाही’ है। उन्होंने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ इस्तीफा नहीं बल्कि लोकतंत्र पर करारा तमाचा है।

गहलोत ने पूछे तीखे सवाल

गहलोत ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सवालों की झड़ी लगा दी। उन्होंने कहा कि यह इस्तीफा आश्चर्यजनक नहीं है। बल्कि आश्चर्यजनक तो वह दबाव है जिसके कारण यह इस्तीफा हुआ है। कुछ दिन पहले ही जयपुर में धनखड़ ने कहा था कि वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और किसी दबाव में नहीं हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि फिर अचानक इस्तीफा क्यों? क्या यह दैवीय शक्ति थी या दिल्ली से आदेश? गहलोत ने इस घटना को संवैधानिक मर्यादाओं के विरुद्ध बताया और कहा कि हमारे विरोध के बावजूद इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया।

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विपक्ष को बार-बार बोलने से रोका

यह वही उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने विपक्ष को बार-बार बोलने से रोका, जिनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। लेकिन जिस तरह से इस्तीफा स्वीकार किया गया, वह संवैधानिक प्रक्रिया का अपमान है। गहलोत बुधवार को कांग्रेस के दिग्गज नेता परसराम मदेरणा की जयंती पर पीसीसी पहुंचे थे। वहां उन्होंने मदेरणा को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि मदेरणा सिर्फ कांग्रेस के नेता नहीं थे। वह किसान राजनीति के मजबूत स्तंभ थे। मौजूदा सरकार उन्हें चाहे जितना मिटाने की कोशिश करे, उनके जैसे नेताओं की विरासत को नहीं मिटाया जा सकता।

बिहार में घोंटा जा रहा लोकतंत्र का गला

बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाए गए, लोकतंत्र का गला घोंटा गया गहलोत ने बिहार में 52 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक राज्य का मामला नहीं है। यह लोकतंत्र की हत्या का ट्रायल रन है। क्या इतने बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से नाम हटाना सामान्य बात है? मामला अदालत में है। लेकिन चुनाव आयोग की भूमिका सवालों के घेरे में है। वह अब स्वतंत्र नहीं रहा। वह सिर्फ ‘आदेशों का गुलाम’ बन गया है।

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