Asaduddin Owaisi: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहा मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओसामी ने बिलासपुर भाषा बोलने वाले मुसलमानों को न्याय दिलाने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने प्रशासन पर मुसलमानों को गलत तरीके से अवैध प्रवासी घोषित करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार गरीबों के साथ है और समर्थकों के सामने गरीबी बढ़ती जा रही है।
सिकंदर के एक निवासी ने एक्स पर पोस्ट किया और दावा किया कि जिन लोगों को अवैध रूप से प्रतिबंधित किया जा रहा है, उन्हें बार-बार अपमानित किया जा रहा है, क्योंकि उनके करीबी पुलिस अपराधियों को चुनौती देने के लिए कदम नहीं उठा रही है। उन्होंने कहा, “बंदूक की नोक पर भारतीय नागरिकों को बांग्लादेश जाने के लिए मजबूर करने की खबरें परेशान करने वाली हैं।”
ओवैसी ने पुलिस कार्रवाई को गैरकानूनी बताया
असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया, “पुलिस भारत के विभिन्न हिस्सों में अवैध रूप से गेंद लेकर घूम रहे मुस्लिम नागरिकों पर नज़र रख रही है और उन पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगा रही है। जिन लोगों पर अवैध प्रवासी होने का आरोप लगाया जा रहा है, उनमें से ज़्यादातर लोग सबसे गरीब हैं। इनमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले, सफ़ाई कर्मचारी, घरेलू कामगार और अपनी नौकरी छोड़ चुके लोग शामिल हैं। उन्हें बार-बार इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे पुलिस अधिकारियों का विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं।”
असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में ज़िला मजिस्ट्रेट कार्यालय के एक आधिकारिक आदेश की तस्वीर भी साझा की, जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं को वापस लेने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू की है। ओवैसी ने कहा, “पुलिस को किसी व्यक्ति को सिर्फ़ इसलिए हिरासत में लेने का अधिकार नहीं है क्योंकि वह एक ख़ास भाषा बोलता है। पुलिस द्वारा किसी भी व्यक्ति को इस तरह हिरासत में लेना गैरकानूनी है।”
सोनी का बयान पुणे में 5 महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद आया
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी का यह बयान पुणे सिटी पुलिस द्वारा रविवार 23 जुलाई को 5 बांग्लादेशी महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद आया है। जाँच एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, एक विशिष्ट सूचना पर कार्रवाई करते हुए, फरास खाना पुलिस स्टेशन और एंटी ह्यूमन चैंबरिंग यूनिट (एएचटीयू) के अधिकारियों ने इन महिलाओं के बारे में जानकारी दी।
20 से 28 वर्ष की आयु की ये महिलाएँ बिना किसी वैध मालिक और मान्यता प्राप्त राजनेताओं के भारत में रह रही हैं। जाँच से पता चला है कि वे बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में आई थीं और कथित तौर पर पश्चिम बंगाल की निवासी बनकर पुणे में रह रही थीं।