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Abbas Ansari: मुख्तार अंसारी के बेटे को मिली बड़ी राहत, ऐसे ही देता रहेगा मूछों पर ताव, जानें क्या है पूरा मामला?

Abbas Ansari: हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद 30 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज न्यायमूर्ति समीर जैन ने अपना फैसला सुनाया।

Published by Ashish Rai

Abbas Ansari: उत्तर प्रदेश की मऊ सदर सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के पूर्व विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने अब्बास की सजा पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने MP-MLA कोर्ट द्वारा दी गई 2 साल की सजा को रद्द कर दिया है। यानी अब मऊ सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं होगा। अब्बास अंसारी ने सजा रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका स्वीकार होने के बाद अब अब्बास का विधायक पद बहाल हो जाएगा। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब मऊ की सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं होगा।

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अब्बास अंसारी की ओर से वकील उपेंद्र उपाध्याय ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा और अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट मऊ के फैसले पर रोक का विरोध किया। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद 30 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज न्यायमूर्ति समीर जैन ने अपना फैसला सुनाया।

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2 साल की कैद और 3000 का जुर्माना

31 मई को एमपी एमएलए कोर्ट मऊ ने अब्बास अंसारी को 2022 के विधानसभा चुनाव के दरम्यान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में 2 साल की कैद और 3000 के जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस आधार पर अब्बास अंसारी को 1 जून 2025 को अपना एमएलए पद गंवाना पड़ा। एमपी एमएलए कोर्ट के फैसले के खिलाफ अब्बास मऊ जिला न्यायालय गए, लेकिन वहां भी उनकी याचिका खारिज कर दी गई। जिला न्यायालय ने 5 जुलाई को उनकी अपील खारिज कर दी। जिसके बाद अब्बास अंसारी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर उन्होंने जिला जज मऊ के आदेश को चुनौती दी।

राज्य सरकार के अधिकारियों को दी थी धमकी

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) से मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक अब्बास अंसारी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में बयान दिया था कि समाजवादी पार्टी सत्ता में आने पर राज्य सरकार के अधिकारियों से हिसाब लेगी। इस बयान के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने मामला दर्ज किया था। इस मामले पर 31 मई को फैसला आया और एक जून को विधानसभा सचिवालय ने मऊ सदर सीट को रिक्त घोषित कर दिया।

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