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Kejriwal छोड़िए…इन 4 नेताओं ने भी जेल से चलाई सरकार, Amit Shah के विस्फोटक इंटरव्यू के बाद मची हलचल

130th Constitutional Amendment Bill: इस बिल को लेकर अब पक्ष-विपक्ष में बहस छिड़ गई है। तो क्या आप जानते हैं कि जेल में रहकर किन किन नेताओं ने सरकार चलाई है?

Published by Heena Khan

130th Constitutional Amendment Bill: इस समय राजनीतिक गलियारों में 130वें संविधान संशोधन विधेयक को लेकर अब चर्चा तेज हो गई है। लगातार इस बिल को लेकर पक्ष-विपक्ष में बहस छिड़ी हुई है। वहीँ अमित शाह ने भी इस बिल को लेकर काफी कुछ साफ कर दिया है। क्या आप जानते हैं कि इस बिल में ऐसा क्या है जो विपक्ष को खटक रहा है। तो आपकी जानकारी के लिए बता दें, किसी भी मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को जेल जाने पर 30 दिन के भीतर खुद इस्तीफा देना होगा। इस्तीफा नहीं देने की स्थिति में 31वें दिन उसका पद स्वत: रिक्त माना जाएगा। ऐसे आरोप जिसमें कम से कम पांच साल की सजा का प्रविधान है उसमें लगातार 30 दिन जेल रहने पर कार्रवाई होगी।

जेल में इन लोगों ने काटी रातें

तो चलिए जान लेते हैं वो कौन कौन से नेता है जिन्होंने जेल में रहते हुए सत्ता चलाई और अपना फर्ज निभाया। आपको बता दें इस लिस्ट में लालू यादव, अरविन्द केजरीवाल, वाई एस जगन मोहन रेड्डी, हेमंत सोरेन, और मनीष सिसोदिया। ये सभी वो नेता हैं जिन्होंने जेल में रहते हुए सत्ता चलाई।  चलिए जान लेते हैं कि इन लोगों को जेल की सजा क्यों काटनी पड़ी।

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लालू यादव

अगर बात करें लालू यादव की तो आपको बता दें लालू यादव भी 1997 में चारा घोटाले के आरोप में जेल भेजे गए, इस दौरान उनके सामने सत्ता बनाए रखने की चुनौती खड़ी हुई। लालू ने सत्ता की भागदौड़ अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सौंप दी, जिन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। यह कदम उस दौर में अभूतपूर्व था क्योंकि राबड़ी देवी राजनीतिक अनुभव से बिल्कुल दूर थीं। यह उदाहरण दिखाता है कि जेल में रहते हुए नेता सीधे सरकार तो नहीं चला सकते, लेकिन राजनीतिक विकल्पों के जरिए सत्ता पर पकड़ बनाए रखते हैं। लेकिन उससे पहले कुछ समय तक लालू यादव ही जेल से  सत्ता संभाले हुए थे।

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अरविंद केजरीवाल

वहीँ जेल से सरकार चलाने की कोशिश दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मामला भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे चर्चित हो गया है। तिहाड़ जेल में बंद रहते हुए भी वो मुख्यमंत्री पद पर बने हुए थे। आम आदमी पार्टी का दावा था कि केजरीवाल जेल से भी सरकार चला सकते हैं। इसके लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, डिजिटल दस्तावेज़ और आदेश जारी करने जैसे तकनीकी विकल्पों का सहारा लिया जा गया था। हालाँकि, दिल्ली के उपराज्यपाल और क़ानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि संविधान और जेल मैनुअल के तहत ऐसा संभव नहीं है। 

हेमंत सोरेन

सत्ता का सुचारू हस्तांतरण झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा। गिरफ्तारी के तुरंत बाद, उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया, जिससे सरकार के कामकाज में कोई बाधा नहीं आई। यह एक ऐसा उदाहरण है जहाँ सत्ता का हस्तांतरण पारदर्शी और संवैधानिक तरीके से हुआ। सोरेन का मामला दर्शाता है कि जेल जाने के बाद किसी विश्वसनीय सहयोगी को सत्ता सौंपना एक व्यावहारिक और लोकतांत्रिक विकल्प है।

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Heena Khan

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