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नींद में खर्राटें लेने की आदत दे सकती है गंभीर बीमारियों को बुलावा, डॉक्टरों ने दिए चेतावनी संकेत

Published by Ananya verma

खर्राटे: सिर्फ आदत नहीं, सेहत की गंभीर चेतावनी

खर्राटे लेना एक आम बात मानी जाती है। अक्सर लोग इसे थकान, बंद नाक या गहरी नींद से जोड़कर देखते हैं। लेकिन अगर रोज तेज आवाज में खर्राटे आते हैं तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि खर्राटों को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है।

 खर्राटे क्यों आते हैं?

नींद के दौरान जब गले की मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं, तो सांस की नली बंद हो जाती है। ऐसे में हवा का दबाव होता है और आवाज आती है, जिसे हम खर्राटे कहते हैं। हल्के खर्राटे थकान या सर्दी-जुकाम की वजह से भी हो सकते हैं, लेकिन रोजाना और तेज खर्राटे आने का मतलब है कि शरीर में कोई बड़ी समस्या भी हो सकती है।

 ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया क्या है?

तेज और लगातार खर्राटे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) नामक बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इसमें नींद के दौरान बार-बार सांस रुकती और शुरू होती है। कई बार मरीज नींद में हड़बड़ाकर उठ जाता है और उसे घुटन या हांफने जैसा महसूस होता है। इस बीमारी के लक्षणों में ज्यादा नींद आना, सुबह सिरदर्द होना, दिनभर थकान रहना, रात में बार-बार बाथरूम जाना, चिड़चिड़ापन और काम में मन न लगना भी शामिल है। लंबे समय तक यह समस्या रहने पर दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

खर्राटों की और भी वजहें

  • मोटापा: मोटापे से गर्दन के आसपास फैट जम जाता है, जिससे सांस की नली बंद हो जाती है।
  • धूम्रपान: इससे गले और फेफड़ों में सूजन होती है और हवा का रास्ता ब्लॉक हो सकता है।
  • शराब पीना:शराब गले की मांसपेशियों को ढीला कर देती है, जिससे खर्राटे बढ़ जाते हैं।
  • सर्दी-जुकाम और एलर्जी: नाक बंद होने से भी खर्राटे आते हैं।

नींद की स्थिति: पीठ के बल सोने पर खर्राटे ज्यादा आते हैं।

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खर्राटों से जुड़े गंभीर खतरे

अगर खर्राटे लंबे समय तक जारी रहें तो शरीर को ऑक्सीजन नहीं मिलती। इससे फेफड़ों और दिमाग पर दबाव बढ़ता है। हार्ट फेल होने, लंग्स के कमजोर पड़ने या ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थिति भी हो सकती है।

क्या हैं उपाय?

खर्राटों से बचने या उन्हें कम करने के लिए इन बदलाव की जरूरत हैं।

  • वजन कम करें और रोजाना योगा करें।
  • धूम्रपान और शराब पूरी तरह से छोड़ दें।
  • दिन में कम से कम 1-2 लीटर पानी पिएं और कोशिश करें कि गुनगुना पानी लें।
  • योगा और मेडिटेशन करे,ये टेंशन कम करने में मदद करता है।
  • पीठ के बल सोने की बजाय करवट लेकर सोएं।
  • सोने से पहले हर्बल चाय में शहद डालकर पीने से भी आराम मिल सकता है।

कब लें डॉक्टर की मदद?

अगर आपको दिनभर नींद आती है, बैठे-बैठे झपकी लगती है या नींद में सांस रुकने जैसी समस्या महसूस होती है, तो यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से जांच करवाना जरूरी है।

स्लीप स्टडी क्या है?

डॉक्टर इस बीमारी की जांच के लिए **पॉलीसोम्नोग्राफी** टेस्ट कराते हैं। इसमें नींद के दौरान शरीर से सेंसर जोड़े जाते हैं, जो दिमाग की तरंगों, सांस, दिल की धड़कन और ऑक्सीजन स्तर को मापते हैं। इससे पता चलता है कि खर्राटे सामान्य हैं या बीमारी की वजह से हो रहे हैं। गंभीर मामलों में मरीज को सांस की नली खोलने के लिए मास्क या नेजल कैनुला के साथ पॉजिटिव एयरवे प्रेशर दिया जाता है।

Ananya verma
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