Navratri 2025: नवरात्रि के दौरान, कुट्टू और सिंघाड़े का आटा पारम्परिक तौर पर विशेष रूप से खाया जाता है. खास कर जो लोग व्रत रखते हैं वो इसका सेवन करते हैं. ये आटा ग्लूटेन-फ्री होता हैं और अनाज की श्रेणी में भी नहीं आता है. कुट्टू का आटा प्रोटीन, फाइबर, आयरन और मैग्नीशियम जैसे तत्वों से भरपूर होता है, जबकि सिंघाड़े का आटा आयरन, मैग्नीशियम और विटामिन B6 जैसे तत्वों से भरपूर होता है.
नवरात्रि में कुट्टू या सिंघाड़े का आटा का महत्व
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ये दोनों ही आटे ग्लूटेन-फ्री होते हैं और अनाज की श्रेणी में भी नहीं आते हैं. कुट्टू का आटा प्रोटीन, फाइबर, आयरन और मैग्नीशियम से भरपूर होता है जिससे व्रत के उपासक को या जिस किसी ने भी उपवास रखा है उसको बिना अन्न का सेवन किए पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा मिल सके. सिंघाड़े का आटा आयरन, मैग्नीशियम और विटामिन बी6 से भरपूर होता है और यह भी अन्न की श्रेणी में नहीं आने के कारन व्रत में स्वान के योग्य है. ये दोनों आटे पाचन को सुधारते हैं और व्रत के दौरान शरीर को पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करते हैं.
कुट्टू और सिंघाड़े के आटे का फर्क
बकव्हीट या कुट्टू का आटा हल्के काले रंग का होने के साथ-साथ स्वाद में थोड़ा कसैला होता है. वहीँ सिंघाड़े या वाटर चेस्टनट का आटा सफेद रंग होता है और स्वाद में हल्की मिठास लिए होता है. कुट्टू का आटा पाचन में थोड़ा भारी होता है, जबकि सिंघाड़े का आटा हल्का और जल्दी पचने वाला होता है.
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कैसे बनता है कुट्टू का आटा?
यह आटा बकव्हीट जिसे आम बोलचाल की भाषा में कुट्टू भी कहते हैं उनके बीजों को सुखाकर पीसने से तैयार होता है. बकव्हीट दरअसल अनाज नहीं है बल्कि यह एक पौधे का बीज है. यह लगभब चने की दाल जैसे आकार का होता है. इसके बीजों को सुखाकर पीसा जाता है, जिससे कुट्टू का आटा बन कर तैयार होता है.
कैसे बनता है सिंघाड़े का आटा?
वाटर चेस्टनट एक फल है जिसको हिंदी में सिंघाड़ा भी कहा जाता है.इस आता को बनाने की प्रक्रिया में सिंघाड़े को पहले उबाल कर छिला जाता है और उसके बाद इसको कड़ी धुप में सूखा कर पीसा जाता है जिससे सिंघाड़े का आटा बन कर तैया होता है.

