आज के समय में बच्चों की आखों पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है.मोबाइल, टीवी और ऑनलाइन पढ़ाई ने उनकी नजर पर बुरा असर डालना शुरू कर दिया है. कई बार माता-पिता को यह समझ ही नहीं आता कि बच्चे की आंखें कमजोर हो रही हैं. अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो आगे चलकर चश्मा लगाना पड़ सकता है या पढ़ाई में भी मुश्किलें आ सकती हैं. चलिए जानते हैं बच्चों में कमजोर नजर के लक्षण, उसके कारण और बचाव के आसान उपाय.
बच्चों की कमजोर नजर के संकेत और बचाव के तरीके
आजकल बच्चों की आंखों पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है. मोबाइल, टीवी और ऑनलाइन पढ़ाई से उनकी आंखें थकने लगी हैं. कई बार बच्चे खुद नहीं बता पाते कि उन्हें धुंधला दिख रहा है, लेकिन उनके व्यवहार से माता-पिता समझ सकते हैं कि नजर कमजोर हो रही है.
टीवी या मोबाइल बहुत पास से देखना
अगर बच्चा टीवी बहुत पास बैठकर देखता है या मोबाइल को आंखों के बहुत करीब लाता है, तो यह आंखों की कमजोरी का पहला संकेत हो सकता है. वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि उसे दूर की चीजें धुंधली दिखती हैं. ऐसी आदत दिखे तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं.
पढ़ते समय आंखें मिचमिचाना या सिर झुकाना
जब बच्चा बोर्ड या किताब साफ नहीं देख पाता, तो वह आंखें सिकोड़कर या सिर झुकाकर पढ़ने की कोशिश करता है. इससे उसकी आंखों पर और दबाव पड़ता है. अगर यह बार-बार हो रहा है, तो यह नजर कमजोर होने की निशानी हो सकती है.
बार-बार आंखें मलना या पानी आना
बच्चे जब आंखों में जलन, खुजली या धुंधलापन महसूस करते हैं, तो बार-बार आंखें मलते हैं. लगातार ऐसा करने से संक्रमण भी हो सकता है. यह आदत नजर की कमजोरी या आंखों में थकान का संकेत हो सकती है. इसे नजरअंदाज न करें.
सिरदर्द या आंखों में दर्द की शिकायत
कमजोर नजर वाले बच्चों को अक्सर सिरदर्द या आंखों में दर्द की शिकायत रहती है, खासकर पढ़ाई या टीवी देखने के बाद. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आंखें साफ देखने की कोशिश में ज़्यादा मेहनत करती हैं. यह स्थिति डॉक्टर को दिखाने का समय बताती है.

