Doctors Poor Handwriting: डॉक्टरों की लिखावट (हैंड राइटिंग) हमेशा से मजाक का विषय रही है. इस पर ऑनलाइन अनगिनत मीम्स (Memes) बनाए गए. लेकिन अब, यह समस्या एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर रही है. डॉक्टरों की लिखावट दुनिया भर में मरीज़ों के जीवन को प्रभावित करती है. इसे आप इस बात से समझ सकते हैं कि लिखने में गलतियां मरीज़ की जान को भी खतरे में डाल सकती है. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ये गलतियां दुनिया भर में जानलेवा साबित हुई हैं. आइए इनके बारे में और जानें.
डॉक्टरों की खराब हैंड राइटिंग के पीछे का कारण
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशाली कहते हैं कि लगभग 3,30,000 डॉक्टरों के संगठन में, यह सर्वविदित है कि कई डॉक्टरों की लिखावट खराब होती है. उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण अत्यधिक व्यस्तता, लगातार मरीज़ों को देखना, दवाइयां लिखना और मेडिकल रिकॉर्ड अपडेट करना है. इसी दबाव के कारण अक्सर लिखावट धुंधली या टेढ़ी हो जाती है.
भारत में कोर्ट पहुंता मामला
डॉक्टरों की लिखावट का मुद्दा भारत में एक बड़ा विषय बन गया है. इस पर बार-बार सवाल उठाए गए हैं, और मामला अदालतों तक भी पहुंचा है, जहां उड़ीसा उच्च न्यायालय ने डॉक्टरों की बेढंगी लिखावट पर चिंता व्यक्त की. जबकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने कहा कि अस्पष्ट रिपोर्टें मरीजों के लिए खतरा पैदा करती हैं. भारत जैसे देश में, जहां अस्पतालों में भीड़भाड़ रहती है, डॉक्टरों की तेज़ और अस्पष्ट लिखावट कभी-कभी जानलेवा साबित हो सकती है.
खराब लिखावट के चलते 7,000 मौतें
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 1999 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में चिकित्सा संबंधी त्रुटियों के कारण हर साल लगभग 44,000 मौतें होती हैं, जिनमें से 7,000 मौतें सिर्फ़ खराब लिखावट के कारण होती हैं. ब्रिटेन में भी इसी तरह के निष्कर्ष मिले, जहां दवा संबंधी त्रुटियों के कारण काफ़ी नुकसान और मौतें हुई हैं. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इलेक्ट्रॉनिक प्रिस्क्रिप्शन प्रणाली लागू करने से ऐसी त्रुटियों में 50 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है.
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