Dry Fasting Benefits: निर्जल व्रत (Dry Fasting) यानी बिना खाने और पानी के रखा जाने वाला उपवास शरीर पर काफी तेज असर डालता है. जैसे ही व्रत शुरू होता है, शरीर अपनी ऊर्जा के लिए ब्लड ग्लूकोज का उपयोग करता है. ग्लूकोज खत्म होने पर लिवर और मांसपेशियों में जमा ग्लाइकोजन टूटकर ऊर्जा देने लगता है. पानी न पीने से डिहाइड्रेशन शुरू होता है, जिससे मूत्र कम बनता है, ब्लड प्रेशर गिर सकता है और सिरदर्द, थकान या मुंह सूखने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
कुछ ही घंटों में शरीर की मेटाबॉलिक प्रक्रिया बदलने लगती है. 12–24 घंटे के अंदर कीटोसिस शुरू हो जाता है, जिसमें वसा को तोड़कर ऊर्जा बनाई जाती है. साथ ही ऑटोफैगी प्रक्रिया भी शुरू होती है, जिसमें शरीर अपनी पुरानी और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को खुद खाकर साफ करता है.
निर्जल व्रत के शरीर पर असर और सावधानियां:
• ब्लड ग्लूकोज और ऊर्जा: शरीर पहले ग्लूकोज, फिर ग्लाइकोजन को ऊर्जा के लिए इस्तेमाल करता है.
• डिहाइड्रेशन: पानी न पीने से शरीर तरल पदार्थ खोता है, ब्लड प्रेशर गिरता है और सिरदर्द या थकान हो सकती है.
• कीटोसिस: वसा को तोड़कर ऊर्जा बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है, जिससे मस्तिष्क और हृदय को ऊर्जा मिलती है.
• ऑटोफैगी: शरीर अपनी पुरानी और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को खुद खाकर साफ करता है.
• लंबे समय के खतरे: किडनी पर दबाव, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, लो ब्लड प्रेशर, चक्कर, हृदय गति बढ़ना और ओवरहीटिंग हो सकती है.
• संभावित फायदे (संतुलित व्रत में): इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार, सूजन कम होना, रक्त शर्करा संतुलन, वजन घटाने में मदद, मानसिक स्पष्टता और कोशिकीय सफाई.

