Malyalam Superstar Mohanlal: भारतीय सिनेमा की दुनिया में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं रहते, बल्कि पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं. मोहनलाल उनमें सबसे खास हैं. मलयालम फिल्मों (Malyalam Films) से शुरू होकर, उन्होंने अपने टैलेंट और मेहनत से पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाई.
मोहनलाल का सफर बताता है कि टैलेंट, मेहनत और लगन से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड (Dadasaheb phalke Awards) उन्हें मिली सबसे बड़ी जीत है, जो उनके शानदार करियर पर सोने की चमक जैसा है. वो एक्टर ही नहीं, इसके साथ-साथ फिल्म प्रोड्यूसर, प्लेबैक सिंगर, डिस्ट्रीब्यूटर, डायरेक्टर और बिजनेसमैन भी हैं. ये मल्टीटास्किंग खूब कम लोगों में देखने को मिलती है.
बचपन और एक्टिंग का जुनून
मोहनलाल विश्वनाथन का जन्म 21 मई 1960 को केरल के एलनथूर गांव में हुआ. उनके पिता केरल सरकार के पूर्व ब्यूरोक्रेट और लॉ सेक्रेटरी रहे, और मां संथाकुमारी. मोहनलाल ने तिरुवनंतपुरम के गवर्नमेंट मॉडल बॉयज हाई स्कूल और महात्मा गांधी कॉलेज से पढ़ाई की.
बचपन से ही उन्हें एक्टिंग का शौक था. स्कूल के प्ले में भाग लेकर उन्होंने पहली बार मंच पर अपने अभिनय का हुनर दिखाया. छठी क्लास में उन्होंने कंप्यूटर बॉय नाम के स्टेज प्ले में 90 साल के व्यक्ति का किरदार निभाया था.
करियर की कहानी
मोहनलाल ने 1980 में फिल्मों में कदम रखा और तभी से दर्शकों का दिल जीत लिया. उनका हर किरदार अलग और असली लगता है. चाहे कॉमेडी हो, रोमांस हो, ड्रामा हो या एक्शन, वो हर रोल में फिट बैठते हैं. उनके काम में एक नेचुरल फ्लो है, जिससे लगता ही नहीं कि वह कैमरे के लिए एक्टिंग कर रहे हैं. यही वजह है कि लोग उन्हें प्यार से “द कम्प्लीट एक्टर” (the complete actor) कहते हैं.
लेकिन, क्या आपको पता है कि एक्टिंग से पहले उन्हें किस चीज में महारथ हासिल थी. मोहनलाल एक प्रोफेशनल रेसलर थे. यहां तक कि वो 1977 से 1978 तक स्टेट रेसलिंग चैंपियन रहे. लेकिन, फिल्मों में दिलचस्पी के चलते उन्होंने अपने रेसलिंग के शौक को अलविदा कह दिया और एक नया पड़ाव शुरू किया, अभिनय का. 18 साल की उम्र में उन्होंने सिनेमा में अपना पहला कदम रखा.
फिल्मी सफर: संघर्ष से स्टारडम तक
मोहनलाल की पहली फिल्म ‘थिरानोट्टम’ थी, जिसमें उन्होंने मेंटली चैलेंज्ड नौकर का रोल निभाया. लेकिन फिल्म सेंसरशिप के कारण 25 साल तक रिलीज नहीं हो सकी. निराश मोहनलाल को ‘मंजिल विरंजा पोक्का’ से विलेन के रूप में डेब्यू करने का मौका मिला. फिल्म हिट हुई और लोगों ने उन्हें पसंद किया.
उनके शुरुआती दौर में लुक्स की वजह से कई डायरेक्टर उन्हें रिजेक्ट कर चुके थे. लेकिन डायरेक्टर फाजिल ने उन्हें फिल्म में लिया और यह निर्णय मोहनलाल के करियर का गेम-चेंजर साबित हुआ. इसके बाद मोहनलाल ने 25 फिल्मों में विलेन का रोल निभाया. फिल्में’ संध्याक्कु विरिंजा पूवु’ और ‘कुयिलीन थेडी’ में उनके नेगेटिव रोल को खूब सराहा गया.
1984 के आसपास उन्होंने हल्के-फुल्के और कॉमिक रोल करने शुरू किए. इसी दौरान मोहनलाल की दोस्ती डायरेक्टर प्रियदर्शन से हुई. फिल्म ‘पूचाक्कोरु मुक्कुथि’ में मोहनलाल ने पहला कॉमिक रोल निभाया, जो सुपरहिट साबित हुआ. इसके बाद मोहनलाल ने प्रियदर्शन की 44 फिल्मों में काम किया. 1986 के आस-पास मोहनलाल के करियर का पीक था. उनकी हर 15 दिन में फिल्म रिलीज होती थी और एक साल में 34 फिल्में रिलीज हुईं, जिनमें से 25 हिट हुईं. ये रिकॉर्ड बनाना हर किसी के बस की बात नहीं.
हिट फिल्में और यादगार पल
मोहनलाल की फिल्मों की लंबी लिस्ट है, लेकिन कुछ खास फिल्में उन्हें सिनेमा का सुपरस्टार बनाती हैं. अपने चार दशक के करियर में उन्होंने 400 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है.
• किरीदम- इमोशनल रोल जिसने दर्शकों के दिलों को छू लिया.
• भरतम- इस फिल्म के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड भी मिला.
• वनप्रस्थम- इंटरनेशनल लेवल पर सराही गई फिल्म.
• पुलिमुरुगन- मलयालम फिल्में भी 100 करोड़ क्लब में एंट्री कर सकती हैं, ये मोहनलाल की वजह से संभव हुआ.
अवॉर्ड्स और सम्मान
मोहनलाल की मेहनत को इंडस्ट्री ने हमेशा सराहा है. उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य अवॉर्ड्स मिल चुके हैं.
• राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (5 बार)
• केरल राज्य फिल्म पुरस्कार (9 बार)
• पद्म श्री (2001)
• पद्म भूषण (2019)
और अब 2025 में उन्हें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड मिलने जा रहा है. यह अवॉर्ड उनके करियर के लिए सबसे बड़ा सम्मान माना जा रहा है.

