राज कपूर को लोग शोमैन कहते थे और उन्होंने इस नाम को सच कर दिखाने के लिए अपनी जिंदगी की सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म बनाई जिसका नाम था, मेरा नाम जोकर। यह सिर्फ एक मूवी नहीं थी, बल्कि उनका सपना था, उनकी सोच थी और उनकी कला की गहराई थी।
फिल्म को बनाने में पूरे 6 साल लग गए। कहानी इतनी अनोखी थी कि इसे तीन हिस्सों में दिखाया गया- राजू के बचपन, जवानी और बुढ़ापे की दास्तान। दर्शक एक जोकर की नजरों से जिंदगी की हकीकत देखते हैं, जो सामने सबको हंसाता है लेकिन अंदर से रोता है। ऋषि कपूर ने इसमें राज कपूर के बचपन का रोल निभाकर अपने करियर की शुरुआत भी की।
लेकिन, जब फिल्म 1970 में रिलीज हुई तो नतीजा बेहद चौंकाने वाला रहा। 4 घंटे लंबी फिल्म और दो-दो इंटरवल उस दौर के दर्शकों को भारी पड़ गए। लोग मनोरंजन की जगह हल्की-फुल्की कहानियां देखना चाहते थे, और इतनी गंभीर फिल्म उनके गले नहीं उतरी। नतीजा यह हुआ कि फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गई।
रूस में बनी ब्लॉकबस्टर
राज कपूर पर इसका असर सिर्फ इमोशनल नहीं बल्कि आर्थिक भी पड़ा। उन्हें कर्ज में डूबना पड़ा और यहां तक कि अपना स्टूडियो भी गिरवी रखना पड़ा। उस वक्त लगा जैसे उनका करियर अब संभल नहीं पाएगा। लेकिन किस्मत की बात देखिए, भारत में जिस फिल्म को लोगों ने नकार दिया, वही फिल्म रूस में ब्लॉकबस्टर बन गई। वहां दर्शकों ने इसे हाथों-हाथ लिया और यह बड़ी हिट साबित हुई।
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मेरा नाम जोकर कैसे बनी क्लासिक
समय बीता और मेरा नाम जोकर को लोगों ने फिर से देखना शुरू किया। धीरे-धीरे यह फिल्म क्लासिक बन गई और अब इसे हिंदी सिनेमा की सबसे गहरी और अनोखी फिल्मों में गिना जाता है। राज कपूर ने भी हार नहीं मानी। तीन साल बाद उन्होंने बॉबी बनाई, जिसने इतिहास रच दिया और उन्हें फिर से ‘शोमैन ऑफ इंडियन सिनेमा’ बना दिया।

