दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज में 1990 के दशक में एक ऐसा नाम था, जिसने कॉलेज की गलियों में ही स्टारडम का पहला झलक दिखा दी- शाहरुख खान (Shah rukh khan). हां, वही शाहरुख जो बाद में “किंग खान” (King Khan) कहलाया. फिल्ममेकर अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) ने अपनी कॉलेज की यादों में बताया कि शाहरुख सिर्फ पढ़ाई में टॉपर नहीं थे, बल्कि स्पोर्ट्स के सुपरस्टार भी थे. हॉकी और बास्केटबॉल की टीम के कप्तान के तौर पर उनके खेल ने सभी को चौंका दिया.
लेकिन, असली धमाका तब हुआ जब 1992 में उनकी फिल्म ‘दीवाना’ (Deewana) रिलीज हुई. अनुराग बताते हैं, पूरे कॉलेज ने थिएटर बुक कर लिया और जैसे ही शाहरुख की एंट्री हुई, पूरी ऑडियंस चीख-पुकार और तालियों से गूंज उठी. कॉलेज के छात्र उस दिन “शाहरुख-फ्रीक” (Shah Rukh Freek) बन गए थे.
‘स्टारडम सिर्फ पर्दे पर नहीं असल में भी’
कॉलेज के दिनों की ये यादें केवल मजेदार ही नहीं, बल्कि प्रेरणादायक भी हैं. अनुराग ने कहा कि शाहरुख का काम और दोस्ती का अंदाज उन्हें इंडस्ट्री में सबसे मजबूत बनाता है. चाहे अपनी फिल्मों के सुझाव देने हों या दोस्तों का हमेशा साथ देना, शाहरुख ने यह साबित किया कि स्टारडम सिर्फ पर्दे पर नहीं, बल्कि रियल लाइफ में भी कमाल का होना चाहिए. अनुराग कश्यप ने ये भी बताया कि वो कॉलेज में इकॉनॉमिक्स के टॉपर थे. ऐसे ही उन्हें सुपरस्टार नहीं कहा जाता था.
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अनुराग को समय-समय पर फोन करते थे शाहरुख
हाल ही में फिल्म ‘निशानची’ के प्रमोशन के दौरान एक इंटरव्यू में अनुराग ने शाहरुख को लेकर कॉलेज की यादें ताजा की. उन्होंने कहा कि शाहरुख समय-समय पर उन्हें फोन करते हैं. जब उन्हें कुछ पसंद आता है, तो फोन आता है. सेक्रेड गेम्स और एके वर्सेज एके के लिए भी फोन आया था.’ पहले भी वो बता चुके हैं कि शाहरुख उन्हें सार्वजनिक रूप से राजनीतिक बयान न देने की सलाह देते थे.

