Dangerous 95 Gang: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि राजधानी दिल्ली में तेजी से 95 से ज़्यादा खतरनाक गैंग सक्रिय हैं. इन गैंग का काम केवल वसूली, लड़ाई-झगड़े और हत्या जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम देना है. यह आंकड़ा राष्ट्रीय राजधानी की कानून-व्यवस्था के लिए बेहद ही चिंताजनक है. बिश्नोई और अन्य खतरनार गैंग ने दूसरे देशों में बैठकर अपना आपराधिक नेटवर्क का एक भयंकर जाल बिछाया है.
गैंग्स के सक्रिय होने की पीछे की वजह:
पुलिस के जानकारों के मुताबिक, दिल्ली की घनी बनावट, झुग्गी-झोपड़ियों की अधिकता, और हरियाणा-यूपी से नजदीकी गैंग्स को सक्रिय रहने का माहौल मिल जाता है. रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों ने इस मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि ये गैंग गरीब लोगों का शोषण करते हैं, उनसे वसूली करते हैं और अक्सर अपनी वफादारी बदलते रहते हैं, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति को बचाना और भी कठिन हो जाता है.
कॉलेज के झगड़ों से पनपे हैं गैंगस्टर:
ख़तरनाक गैंग की शुरुआत छोटे निजी झगड़ों या फिर कॉलेज के चुनावों से शुरू हो जाती है . जैसे उदाहरण के लिए, गोगी और टिल्लू ताजपुरिया गैंग के बीच की दशकों पुरानी गैंगवार स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज के एक चुनाव से शुरू हुई थी, जिसमें दोनों गैंग लीडर मारे गए. कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने भी छात्र राजनीति के झगड़े से अपराध की दुनिया में अपना कदम रखा और फिर जेल जाने के बाद छोटे अपराधी संगठित होकर बड़े गैंग बनाकर ‘शानदार जीवन’ जीना होता है.
दबदबा, वसूली और हथियारों का जखीरा:
ये गैंग अपने नाम से ही पहचान बनान में माहिर हैं और पूरे राजधानी दिल्ली में दबदबा बनाने की अपनी पूरी कोशिश करते हैं. बड़े गैंग (50 से 150 सदस्य) मुख्य रूप से बिजनेसमैन, सट्टेबाजों और बिल्डरों से वसूली करते हैं, जबकि छोटे गैंग लूटपाट और जमीन कब्ज़ाने का काम करते हैं. इन गैंग्स के पास आधुनिक और अवैध हथियार होते हैं.
फिलहाल, दिल्ली पुलिस और अन्य एजेंसियां लगातार इस तरह के बड़े गैंग्स के खिलाफ कार्रवाई करने में जुटी हुई है और कई बड़े लीडरों को गिरफ्तार भी किया जा रहा है.

