Delhi Weather News: दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों लोगों को ‘थर्ड डिग्री टॉर्चर’ का सामना करना पड़ रहा है. पहले वायु प्रदूषण ने परेशान किया, फिर कड़ाके की ठंड ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है, अब कोहरे की मार भी पड़ने लगी है. ऐसे में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सोमवार के लिए अलर्ट जारी किया है.
ठंड के बीच दिल्ली में रविवार को वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) से समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 390 रहा. पिछले काफी समय से वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है.
आनंद विहार में 457 दर्ज हुआ AQI
सीपीसीबी की ‘समीर’ ऐप पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के 19 निगरानी केंद्रों ने वायु गुणवत्ता को ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया है, जिसमें आनंद विहार में एक्यूआई सबसे ज्यादा 457 दर्ज किया गया है, जबकि शेष केंद्रों में वायु गुणवत्ता का स्तर “बहुत खराब” श्रेणी में दर्ज किया गया है.
बता दें कि एक्यूआई को शून्य से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है.
बहुत घने कोहरे का ‘ऑरेंज’ अलर्ट जारी
दूसरी तरफ मौसम विभाग ने सोमवार को बहुत घने कोहरे का ‘ऑरेंज’ अलर्ट जारी किया है. साथ में अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमशः 22 और सात डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना जताई है.
मौसम विभाग के अनुसार, शहर में न्यूनतम तापमान 6.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो मौसम के औसत से 0.5 डिग्री कम है, जबकि अधिकतम तापमान 22.5 डिग्री सेल्सियस रहा, जो औसत से 2.1 डिग्री अधिक है.
ऐसे में आने वाले दिनों में दिल्लीवासियों को वायु प्रदूषण, ठंड और कोहरे का सामना करना पड़ेगा. दिल्ली में खासकर जहरीली हवा ने जीना मुहाल कर दिया है.
मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रही जहरीली हवा
जहरीली हवा का प्रकोप जारी रहने के बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रही है, जिससे बच्चों में बुद्धि स्तर कम रहने, स्मृति संबंधी विकार और एडीएचडी विकसित होने की संभावना बढ़ रही है.
अनुसंधान आधारित साक्ष्यों का हवाला देते हुए डॉक्टरों ने कहा कि जहरीली हवा अवसाद, बढ़ती चिंता, स्मृति कमजोर करने और संज्ञानात्मक विकास के बाधित होने का कारण बन रही है, जबकि लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से अल्जाइमर और पार्किंसन रोग जैसे तंत्रिका अपक्षयी विकारों का खतरा बढ़ जाता है.

