Bihar SIR Final Voter List: चुनाव आयोग ने बिहार की मतदाता सूची से लगभग 68.5 लाख नामों को हटा दिया है, मंगलवार को जारी अंतिम सूची में 7.42 करोड़ मतदाता हैं. जो 24 जून को 7.89 करोड़ से 6% कम है. बता दें, इससे पहले चुनाव आयोग को तीन महीने के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.
चुनाव आयोग के अनुसार, मसौदा सूची के प्रकाशन के समय हटाए गए 65 लाख नामों के अलावा, 3.66 लाख और नाम हटाए गए जबकि 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए. द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, फ़ाइनल लिस्ट में वोटरों की कुल संख्या 7.42 करोड़ है, यह आंकड़ा आज दोपहर जिला कलेक्टरों के साथ हुई बैठकों के दौरान राजनीतिक दलों को बताया गया.
GST हटते ही गिरे एलपीजी के दाम! महिलाओं को मिली बड़ी राहत, सिर्फ 600 में मिल रहा है गैस सिलेंडर!
बिहार से शुरू हुई है एसआईआर की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने 24 जून को पूरे देश के लिए एसआईआर का आदेश दिया था, लेकिन इसकी शुरुआत बिहार से हुई क्योंकि राज्य में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. आदेश के अनुसार, सभी मौजूदा 7.89 करोड़ मतदाताओं को गणना फॉर्म भरना अनिवार्य था और 2003 के बाद पंजीकृत सभी मतदाताओं को, जब राज्य में अंतिम गहन पुनरीक्षण हुआ था, नागरिकता सहित अपनी पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज़ जमा करने होंगे.
पहले काटे गए थे 65 लाख नाम
1 अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट रोल में, 65 लाख नाम हटा दिए गए थे क्योंकि बूथ लेवल अधिकारियों ने उन्हें या तो मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित, कई जगहों पर नामांकित या लापता बता दिया था. शेष 7.24 करोड़ नाम ड्राफ्ट रोल में शामिल हो गए, जिसके बाद और नाम जोड़े और हटाए गए.
पिछले दो दशकों से चली आ रही वार्षिक संशोधन की जगह नए सिरे से मतदाता सूची तैयार करने के अपने निर्णय की व्याख्या करते हुए चुनाव आयोग ने 24 जून को कहा था, “तेजी से बढ़ते शहरीकरण, लगातार पलायन, युवा नागरिकों का वोट देने के योग्य होना, मौतों की सूचना न देना और विदेशी अवैध प्रवासियों के नाम शामिल करने जैसे विभिन्न कारणों से गहन संशोधन की आवश्यकता पड़ी है, ताकि मतदाता सूची की सत्यनिष्ठा और त्रुटिरहित तैयारी सुनिश्चित की जा सके.”
चुनाव आयोग के आदेश के अनुसार, 1 जुलाई, 1987 से पहले जन्मे सभी लोगों को अपनी जन्मतिथि और/या जन्मस्थान प्रमाणित करने वाले दस्तावेज़ जमा करने होंगे. 1 जुलाई, 1987 और 2 दिसंबर, 2004 के बीच जन्मे सभी लोगों को अपने और अपने माता-पिता में से किसी एक के दस्तावेज़ जमा करने होंगे, साथ ही 2 दिसंबर, 2004 के बाद जन्मे सभी लोगों को अपने और अपने माता-पिता दोनों के दस्तावेज़ जमा करने होंगे. ये श्रेणियाँ नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत निर्धारित आवश्यकताओं के अनुसार थीं.
एसआईआर कराने के चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं के ज़रिए चुनौती दी गई थी, जिनमें सभी मौजूदा मतदाताओं की नागरिकता की जाँच करने के आयोग के अधिकार और एसआईआर में अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे. अनुच्छेद 326 के अनुसार, केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के भारतीय नागरिक ही मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकते हैं. हालाँकि, नामांकन के लिए मौजूदा फॉर्म, फॉर्म 6, में नागरिकता के प्रमाण की आवश्यकता नहीं है.
गुरुग्राम में भूलकर भी ना करें ये गलती, वरना खाली हो जाएगी आपकी जेब, जानिए कितना लगेगा जुर्माना!

