Sanjay Yadav: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद राजद में भूचाल आ गया है. महागठबंधन की करारी हार के अगले ही दिन लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति और अपने परिवार से नाता तोड़ने का चौंकाने वाला एलान करके बिहार में राजनीतिक हड़कंप मचा दिया. उनका दावा है कि तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव और रमीज ने उन पर यह कदम उठाने का दबाव बनाया. इस बयान से राजद और लालू परिवार दोनों में खलबली मच गई है. संजय यादव पहले ही कई विवादों के केंद्र में रहे हैं और अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह हार आखिरकार उन्हें नीचे गिरा सकती है.
रोहिणी आचार्य ने क्यों पार्टी और परिवार से तोड़ा नाता?
रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखते हुए कहा कि वह राजनीति छोड़ रही हैं और अपने परिवार से दूरी बना रही हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने दबाव में यह कदम उठाया है और इसकी जिम्मेदारी वो खुद ले रही हैं. यह पोस्ट वायरल हो गई और कुछ ही घंटों में राजद समर्थकों में हड़कंप मच गया. रोहिणी पिछले कुछ सालों से पार्टी की सोशल मीडिया की आवाज मानी जाती रही हैं. 2022 में अपने पिता लालू यादव को किडनी दान करने के बाद से वह लगातार खबरों में रहीं. लेकिन चुनाव के बाद अचानक राजनीति से उनका हटना इस बात का संकेत माना जा रहा है कि राजद का अंदरूनी कलह अब सतह पर आ गया है.
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संजय यादव की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
रोहिणी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में सीधे तौर पर तेजस्वी के बेहद करीबी संजय यादव और रमीज नेमत खान पर है. संजय तेजस्वी के सबसे भरोसेमंद सलाहकार माने जाते हैं और पार्टी की रणनीति का बड़ा हिस्सा उन्हीं के हाथों में है. हालांकि रोहिणी का आरोप है कि संजय और रमीज ने उन्हें राजनीति और परिवार दोनों से पीछे हटने को कहा था. राजद प्रवक्ताओं ने इसे निजी गलतफहमी बताकर खारिज कर दिया है. हालांकि, सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आ रही है कि पार्टी के अंदर इस बात की चर्चा है कि इतने बड़े विवाद के बाद संजय के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है. महागठबंधन की करारी हार के बाद संजय यादव पहले से ही आलोचनाओं के घेरे में हैं और रोहिणी का बयान उनकी मुश्किलें और बढ़ा सकता है.
अक्सर निशाने पर रहे हैं संजय यादव
संजय यादव को लेकर लालू परिवार में पहले से ही विवाद चलता रहा है. तेज प्रताप यादव ने कई बार उन्हें ‘जयचंद’ कहा है. तेज प्रताप का आरोप रहा है कि संजय पार्टी के भीतर फूट डालते हैं और तेजस्वी के आसपास एक ऐसा घेरा बनाते हैं जिसमें परिवार के लोग खुद को दूर महसूस करते हैं. सितंबर 2025 में तेज प्रताप ने स्पष्ट तौर पर आरोप लगाया था कि जयचंदों ने पार्टी को खोखला कर दिया है. तेज प्रताप का इशारा संजय यादव पर था. 2022 से 2025 के बीच कई बार संजय का नाम उन विवादों में आया जिनमें परिवार के सदस्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नाराज दिखे. रोहिणी ने भी किडनी दान के बाद फैली अफवाहों के लिए संजय को जिम्मेदार बताया था. इन घटनाओं ने संजय की छवि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में बना दी जो पार्टी के भीतर प्रभावशाली भी है और विवादित भी.
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