Bihar election 2025: बिहार का वो जिला जहां कभी रानी का शासन हुआ करता था इसलिए इसका नाम शायद रानीगंज पड़ा. रानीगंज की राजनीति को समझना थोड़ा सा मुश्किल है. क्योंकि यहां समय-समय पर जरूरत के अनुसार सत्ता का परिवर्तन होता ही रहा है. कभी राष्ट्रीय जनता दल कभी
राष्ट्रीय जनता दल और कभी जनता दल (यूनाइटेड) समय की मांग के अनुसार ऐसा होता रहा.
जाति कर राजनीति
रानीगंज की राजनीति को समझने के लिए आपको यहां की जातिगत समीकरण को समझना पड़ेगा. इस क्षेत्र में दलित समुदाय की संख्या ज्यादा है या इसे यूं कहें की यहां पासवान जाति के लोग ज्यादा है. इसी खास वजह से पार्टियों को हर बार कोई न कोई अलग- अलग प्रकार की रणनीति बनानी पड़ती है. ज्यादा तर चुनाव कई बार इसी समीकरण पर टिका होता है. जाति के आधार पर गठजोड़ और वोट बैंक की राजनीति यहां आम बात है.
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पिछली बार किसकी जीत हुई थी?
पिछली बार रानीगंज सीट पर JDU पार्टी अचमित ऋषिदेव को 81,901 वोट मिले थे और उन्होंने जीत हासिल की थी. वहीँ RJD के उम्मीदवार अविनाश मंगलम को 79,597 वोट ही मिल पाए थे. इस आकड़े से ये पता चलता है की RJD भी यहां मजबूती से कदम गड़ाए खड़ी है. रानीगंज सीट पर शुरुआत में तो कांग्रेस का दबदबा था. कांग्रेस ने 1957 से 1985 तक हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पांच बार जीत हासिल की थी.
कौन कब जीता चुनाव यहां से
1957 में कांग्रेस के राम नारायण मंडल.
1962 में निर्दलीय उम्मीदवार गणेश लाल वर्मा.
1967 और 1969 कांग्रेस के डुमर लाल बैठा को जीत.
1972 में निर्दलीय उम्मीदवार बुंदेल पासवान को जीत.
1977 में जनता पार्टी के अधिक लाल पासवान सीट पर जीते.
1980 और 1985 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के यमुना प्रसाद राम को जीत.
1990 और 1995 में जनता दल की शांति देवी को मिली जीत.
2000 में राजद से यमुना प्रसाद राम को एक बार फिर जीत हुई.
2005 में भाजपा के परमानंद ऋषिदेव सीट से जीते.
2005 में भाजपा के रामजीदास ऋषिदेव जीते.
2010 में भाजपा से परमानंद ऋषिदेव को फिर जीत.
2015 और 2020 में जदयू के अचमित ऋषिदेव सीट पर जीते.
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