Bihar Chunav 2025: जदयू के लिए बज रही खतरे की घंटी, कम अंतर से जीती सीटों पर सता रहा है ये डर, हिल सकती है नीतीश की कुर्सी!

Bihar Election 2025: पिछले विधानसभा चुनाव के परिणामों को देखते हुए जदयू के रणनीतिकार न केवल हारे हुए सीटों के पुनर्मूल्यांकन में लगे हैं, बल्कि कम वोटों से जीत वाले विधानसभा में भी जीत का समीकरण ढूंढकर नई रणनीति बनाने में जुट गई है।

Published by Sohail Rahman

Bihar Election 2025: जदयू को पिछले विधानसभा चुनाव में जिस परिणाम का सामना करना पड़ा था। आगामी विधानसभा चुनाव में भी ऐसे ही प्रदर्शन का डर सता रहा है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, जदयू कभी बिहार में पहले नंबर की पार्टी हुआ करती थी, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में आए परिणाम ने उसे तीसरे नंबर की पार्टी बना दिया। पिछले विधानसभा चुनाव के परिणामों को देखते हुए जदयू के रणनीतिकार न केवल हारे हुए सीटों के पुनर्मूल्यांकन में लगे हैं, बल्कि कम वोटों से जीत वाले विधानसभा में भी जीत का समीकरण ढूंढकर नई रणनीति बनाने में जुट गई है। जानते हैं उन सीटों के बारे में जहां जीत के बाद भी जनता दल यू हार के अनजाने भय से ग्रसित है।

बरबीघा विधानसभा

बरबीघा विधानसभा 2020 का चुनाव काफी रोचक देखने को मिला था। तब जनता दल यू के उम्मीदवार सुदर्शन को मात्र 110 वोटों से जीत हासिल की थी। जदयू उम्मीदवार सुदर्शन को तब 39875 वोट मिले थे और गजानंद शाही को 39765 वोट मिले थे। वहीं, लोजपा के उम्मीदवार मधुकर कुमार को लगभग 19 हजार वोट मिले थे। इस बार की स्थिति थोड़ी अलग है। लोजपा (रामविलास) इस बार एनडीए में है, वहीं मुकेश सहनी की पार्टी (वीआईपी) ने इस बार महागठबंधन का दामन थाम लिया है।

भोरे विधानसभा

वर्तमान में शिक्षा मंत्री सुनील कुमार का विधानसभा क्षेत्र भोरे विधानसभा रहा है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भोरे सीट पर जनता दल यू के उम्मीदवार सुनील कुमार ने सीपीएम माले के जितेंद्र पासवान को मात्र 462 वोटों से परास्त किया था। तब सुनील कुमार को 74067 वोट मिले थे और माले उम्मीदवार जितेंद्र पासवान को हराया जिनके हिस्से में 73605 वोट आए।

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परवत्ता विधानसभा

जनता दल यू से उम्मीदवार डॉ संजीव कुमार भी परवत्ता विधानसभा से बड़े कम वोटो के अंतर से जीता था। डॉ संजीव को तब 77226 वोट मिले थे और राजद के दिगम्बर तिवारी को 76275 वोट मिले थे। यहां जीत हार के बीच का फासला 951 वोटो का अंतर था।

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महिषी विधानसभा

जनता दल यू के उम्मीदवार गुंजेश्वर शह ने भी बड़ी मुश्किल से सीट निकाली थी। तब जदयू उम्मीदवार गुंजेश्वर साह को 66316 मत वोट थे। यहां से राजद के उम्मीदवार गौतम कृष्ण को 64686 वोट मिले थे। इन दोनों के बीच हार जीत का फासला मात्र 1630 मत रहा था।

झाझा विधानसभा

झाझा विधानसभा चुनाव में भी 2020 के विधानसभा चुनाव में बहुत कांटे की टक्कर देखने को मिला था। जनता दल यू के दामोदर रावत ने मात्र 1679 वोटों से राजद के राजेंद्र प्रसाद को हराया था। दामोदर रावत को तब 76972 वोट मिले थे और राजद के राजेंद्र प्रसाद को 75293 वोट मिले थे।

रानीगंज विधानसभा

रानीगंज विधानसभा चुनाव 2020 भी काफी टक्कर का रहा था। तब जदयू उम्मीदवार अचंभित ऋषिदेव को 81901 वोट मिले थे और राजद के अविनाश मंगलम को 77717 वोट मिले थे। यहां भी हार जीत के बीच का अंतर 4184 रहा था।

जदयू के सिटिंग उम्मीदवार भी टेंशन में

आगामी विधानसभा चुनाव 2025 को देखते हुए कम वोटो से जीत वाले भी उम्मीदवार जनता दल यू नेताओं के टारगेट में हैं। इनमें बरबीघा विधायक सुदर्शन और परवत्ता विधायक डॉ संजीव कुमार के गर्दन पर तलवार लटकी हुई है। संभव है ये दोनों निर्दलीय भी चुनावी मैदान में उतर जाए । वैसे अन्य भी इस कतार में खड़े हैं और सिग्नल का इंतजार कर रहे हैं कि कब उन्हें हरी झंडी मिले और वे चुनाव क्षेत्र में कूद पड़ें। वैसे गत चुनाव को देखते इन उम्मीदवारों के लिए एक प्लस प्वाइंट यह है कि इस पर चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) का साथ मिलेगा। निगेटिव यह है कि इस बार मुकेश सहनी की पार्टी  (वीआईपी) का साथ नहीं है।

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