छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों की सख़्त कार्रवाई लगातार रंग ला रही है. कभी ‘लाल सलाम’ की गूंज से दहकने वाले जंगल अब हथियारों की बजाय आत्मसमर्पण की आवाज़ों से गूंज रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि बड़ी तादाद में नक्सली डर के साये में हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं. वहीं, केंद्र से लेकर राज्य तक सरकार का साफ संदेश है. जो समाज में लौटना चाहता है, उसका स्वागत है; लेकिन जो बंदूक थामे रहेंगे, उन्हें अब कोई बचा नहीं सकता.
दरअसल, छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बल नक्सलवाद के खिलाफ हर दिन बड़ी सफलता हासिल कर रहे हैं. गुरुवार को 170 नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में संगठन के कई शीर्ष नेता शामिल थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के दो सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाकों को नक्सल मुक्त घोषित किया. इसके बाद, उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट रूप से कहा कि आत्मसमर्पण करने को तैयार नक्सलियों का स्वागत है, लेकिन जो लोग हथियार रखना जारी रखेंगे, उन्हें सुरक्षा बलों द्वारा कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.
अब तक नक्सलियों का आत्मसमर्पण
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ एक सतत अभियान चल रहा है. जनवरी 2024 से अब तक 2,100 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि 1,785 गिरफ्तार किए गए हैं और 477 मारे गए हैं.
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तीन सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िले
छत्तीसगढ़ के बस्तर में सात ज़िले हैं. अब केवल बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही नक्सल प्रभावित बचे हैं. सुरक्षा बल इन ज़िलों में लगातार नक्सल विरोधी अभियान चला रहे हैं. नक्सलवाद से सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाकों में सुरक्षा दल युवाओं से हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील कर रहे हैं.
मार्च 2026 का लक्ष्य है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया है. उन्होंने मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करने का वादा किया है। तब से, सेना लगातार अभियान चला रही है.

