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Explainer: समय पर नहीं मिल रही सैलरी! इन 8 सरल बिंदुओं में समझिए दफ्तर में अपना अधिकार, नहीं तो हो सकता है आपके साथ धोखा

labour code 2025: नए लेबर कोड में कर्मचारियों के लिए क्या बदला है? देर से मिलने वाली सैलरी से लेकर वर्कप्लेस सेफ़्टी, नाइट शिफ्ट, सोशल सिक्योरिटी और गिग वर्कर्स के अधिकार, इन 8 ज़रूरी नियमों को जानिए ताकि दफ्तर में कोई आपका हक न मार सके.

Published by Shivani Singh

क्या आपकी भी सैलरी समय पर नहीं आती? क्या F&F के नाम पर हफ़्तों-महीनों तक HR के चक्कर लगाने पड़ते हैं? क्या बेसिक सैलरी को कम करके कंपनियाँ PF और ग्रेच्युटी से बच रही हैं? या फिर बिना अपॉइंटमेंट लेटर के नौकरी देकर आपकी सुरक्षा और अधिकारों को कमजोर किया जा रहा है? तो अब टेंशन लेने की जरुरत नहीं है. हाल ही में लागू हुए चारों लेबर कोड (वेज़ कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड, ऑक्यूपेशनल सेफ़्टी एंड हेल्थ कोड, और इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड) कर्मचारियों को ऐसे 8 बड़े अधिकार देते हैं, जो आपकी सैलरी से लेकर सुरक्षा और नौकरी की स्थिरता तक हर पहलू में बड़ा बदलाव लाते हैं. आइये आसान शब्दों में जानते हैं वर्क प्लेस पर आपके अधिकार.

हर महीने की 7 तारीख तक सैलरी अनिवार्य (Salary by 7th of every month)

अगर आपकी कंपनी भी आपको समय पर सैलरी नहीं देती तो आप नए लेबर कोड के तहत अपने अधिकार को सुरक्षित रख सकते हैं. नए लेबर कोड के तहत अब हर कंपनी के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे अपने कर्मचारियों को हर महीने की 7 तारीख तक सैलरी दे दें, नहीं तो कंपनी को penalty देना पड़ेगा. अभी भी कई कंपनी में ऐसा है कि सैलरी कई महीने तक भी अटकी रहती है और आप HR या फाइनेंस में चक्कर लगा-लगाकर थक गए हैं तो ये लेबर कोड अब आपकी मदद करने वाला है, लेट पेमेंट की वजह से कर्मचारियों को EMI, किराया, बिल और रोज़मर्रा के खर्चों में दिक्कत होती थी. नए नियम का फायदा यह है कि अब आपकी कमाई समय पर मिलेगी, फाइनेंशियल प्लानिंग आसान होगी और कंपनियों पर भी समय से पेमेंट का दबाव बना रहेगा.

अब सिर्फ 2 वर्किंग डेज़ में F&F सेटलमेंट (F&F within 2 working days)

पहले इस्तीफा देने या नौकरी छोड़ने के बाद F&F आने में हफ्तों से लेकर महीनों तक लग जाते थे, जिससे कर्मचारी आर्थिक रूप से परेशान हो जाते थे. नए लेबर कोड के लागू होने के बाद अब किसी भी कर्मचारी का Full & Final (F&F) सेटलमेंट सिर्फ 2 वर्किंग दिनों के भीतर अनिवार्य कर दिया गया है. अब कंपनियों को वेतन, बोनस, लीव बैलेंस और बाकी सभी बकाया दो कार्य दिवसों में ही क्लियर करने पड़ेंगे.

CTC का 50% अब बेसिक सैलरी: PF और ग्रेच्युटी में बड़ी बढ़ोतरी (50% of CTC = Basic salary (means higher PF & gratuity))

नए वेज कोड के तहत अब हर कर्मचारी की CTC ( Cost to Company) का कम से कम 50% हिस्सा बेसिक सैलरी होना जरूरी है. पहले कई कंपनियाँ सैलरी को अलग-अलग अलाउंस में बांटकर बेसिक कम रखती थीं, जिससे PF और ग्रेच्युटी कम बनती थी. नए नियम के बाद बेसिक सैलरी बढ़ने से PF और ग्रेच्युटी दोनों की राशि ज़्यादा होगी, यानी आपकी लॉन्ग-टर्म सेविंग और रिटायरमेंट बेनिफिट्स मजबूत होंगे। लेकिन हाँ, बेसिक सैलरी बढ़ने से आपकी इन-हैंड सैलरी थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन फ्यूचर में मिलने वाले फायदे कहीं ज्यादा बड़े हो सकते हैं.

अब हर कर्मचारी को मिलेगा अपॉइंटमेंट लेटर (Mandatory appointment letter for all employees)

नए लेबर कोड के नियम के अनुसार अपॉइंटमेंट लेटर अब हर कंपनी के लिए अनिवार्य कर दिया गया है. पहले कई जगह बिना लिखित दस्तावेज़ के कर्मचारियों से काम कराया जाता था, जिससे नौकरी के रोल, सैलरी, काम के घंटे और नियमों को लेकर विवाद या उलझन पैदा होते थे. अब अपॉइंटमेंट लेटर मिलने से आपकी नौकरी का प्रोफाइल, सैलरी स्ट्रक्चर और अधिकार पूरी तरह स्पष्ट तरीके से आपको पता होगा.

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सभी सेक्टर्स के लिए अनिवार्य मिनिमम वेज (Minimum wage for all sectors)

नए लेबर कोड में अब देश के हर सेक्टर के लिए मिनिमम वेज अनिवार्य कर दी गई है. पहले अलग-अलग राज्यों, इंडस्ट्रीज़ और स्किल लेवल के हिसाब से न्यूनतम वेतन कई जगह बेहद कम या असमान होता था. लेकिन नए नियम के बाद सभी सेक्टरों में कर्मचारियों को तय की गई न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान नहीं किया जाएगा. इससे मजदूरों और लो-इनकम वर्कर्स की आय बढ़ेगी, आर्थिक सुरक्षा मजबूत होगी और वर्कप्लेस पर कर्मचारियों के साथ शोषण की संभावनाएं कम होंगी.

40+ कर्मचारियों के लिए सालाना मुफ्त हेल्थ चेक-अप (Free annual health check-up (40+))

नए लेबर कोड के तहत अब 40 साल या उससे अधिक उम्र के सभी कर्मचारियों के लिए साल में एक बार मुफ्त हेल्थ चेक-अप अनिवार्य कर दिया गया है. अक्सर बढ़ती उम्र के साथ कामकाज का तनाव, शुगर, BP, हार्ट और लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन कई कर्मचारी नियमित जांच नहीं करा पाते.

महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट अब पूरी तरह सुरक्षित (Women can work night shifts with full safety measures)

महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट को पूरी तरह कानूनी और सुरक्षित बनाया गया है. अब कंपनियाँ महिलाओं को रात में काम कराने से पहले सुरक्षित ट्रांसपोर्ट, CCTV निगरानी, पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था, और महिला सुपरवाइज़र उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा. पहले सुरक्षा चिंताओं के कारण कई महिलाएँ नाइट शिफ्ट में काम करने से हिचकती थीं, लेकिन नए नियम से उन्हें अधिक अवसर और सुरक्षित माहौल मिलेगा.

गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स को पहली बार सोशल सिक्योरिटी (Gig/platform workers get social security coverage)

नए लेबर कोड में भारत के गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स जैसे Zomato, Swiggy, Uber, Ola, Urban Company आदि के डिलिवरी पार्टनर्स और सर्विस वर्कर्स को पहली बार सोशल सिक्योरिटी कवरेज देने का प्रावधान किया गया है. अब इन वर्कर्स को भी इंश्योरेंस, पेंशन, और वेलफेयर योजनाओं का लाभ मिलेगा, जो पहले सिर्फ नियमित कर्मचारियों तक ही सीमित था. यह बदलाव करोड़ों फ्रीलांसर, पार्ट-टाइम और ऐप-आधारित वर्कर्स को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा. गिग इकॉनमी पर यह कदम ऐतिहासिक माना जा रहा है.

नए लेबर कोड का मूल उद्देश्य भारत की वर्कफोर्स को अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और व्यवस्थित बनाना है। सैलरी समय पर मिलेगी, F&F जल्दी होगा, सैलरी स्ट्रक्चर साफ और फायदेमंद बनेगा, महिलाओं और गिग वर्कर्स की सुरक्षा बढ़ेगी, और हर कर्मचारी के अधिकार पहले से ज्यादा मजबूत होंगे.

Shivani Singh
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