मंत्री छगन भुजबल ने क्या कहा?
इस पूरे मामले पर राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने कहा कि, गणेशोत्सव के लिए ‘आनंदचा शिधा’ वितरित नहीं की जाएगी। अगर ऐसा करना होता, तो त्योहार से तीन महीने पहले निविदाएँ आमंत्रित की जातीं। अब गणेशोत्सव में बस एक महीना बचा है।” उन्होंने कहा कि यह ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ के कारण सरकार पर पड़े वित्तीय दबाव का नतीजा है।
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‘आनंदचा सिद्धा’ योजना पर 350-400 करोड़ रुपये का सालाना आता है खर्च
सालाना सालाना भुजबल ने लाडकी बहिन योजना के वार्षिक खर्च का जिक्र करते हुए कहा, “जब एक योजना की लागत 45,000 करोड़ रुपये सालाना होती है और वह राशि राजकोष से काट ली जाती है, तो इसका असर अन्य योजनाओं पर पड़ना स्वाभाविक है।” हालांकि, उन्होंने आगे कहा, “राज्य अपना राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और धीरे-धीरे यह अपनी पुरानी स्थिति में लौट आएगा। किसी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।”
‘आनंदचा सिद्धा’ योजना पर राज्य को सालाना लगभग 350-400 करोड़ रुपये का खर्च आता है। इसके तहत चीनी, खाद्य तेल, रवा, चना दाल और पोहा जैसी जरुरी खाद्य सामग्री रियायती मूल्य पर, आमतौर पर 100 रुपये प्रति किट, उपलब्ध कराई जाती है।