Income Tax Digital surveillance News: सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक पोस्ट में यह दावा किया गया कि 1 अप्रैल, 2026 से इनकम टैक्स विभाग लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की निगरानी शुरू कर देगा. प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने इस खबर का खंडन करते हुए इसे पूरी तरह ‘भ्रामक’ करार दिया है.
PIB की फैक्ट-चेक रिपोर्ट के अनुसार, नए नियमों का आम और ईमानदार टैक्सपेयर्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा. विभाग केवल विशेष परिस्थितियों में ही डिजिटल डेटा एक्सेस कर सकता है.
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में एक X (ट्विटर) हैंडल @IndianTechGuide द्वारा एक पोस्ट साझा की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि टैक्स अधिकारी अब बड़े पैमाने पर डिजिटल सर्विलांस करेंगे। इस पर सफाई देते हुए PIB ने स्पष्ट किया:
डिजिटल डेटा एक्सेस करने की शक्ति केवल उन्हीं मामलों में इस्तेमाल की जाएगी जहाँ किसी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ ‘सर्च और सर्वे’ (छपेमारी) की औपचारिक कार्रवाई चल रही हो. जब तक किसी टैक्सपेयर के खिलाफ भारी टैक्स चोरी के पुख्ता सबूत न हों और उसके खिलाफ फॉर्मल सर्च ऑपरेशन न शुरू हो, तब तक विभाग के पास उसके निजी डिजिटल स्पेस को एक्सेस करने का कोई अधिकार नहीं है. सामान्य जांच, डेटा प्रोसेसिंग या रूटीन असेसमेंट के दौरान विभाग आपके सोशल मीडिया या ईमेल को चेक नहीं कर सकता.
PIB फैक्ट-चेक यूनिट ने कहा “यह प्रावधान खास तौर पर काले धन और बड़े पैमाने पर होने वाली टैक्स चोरी को रोकने के लिए हैं, न कि कानून का पालन करने वाले नागरिकों की जासूसी के लिए”
A post by @IndianTechGuide claims that from April 1, 2026, the Income Tax Department will have the ‘authority’ to access your social media, emails, and other digital platforms to curb tax evasion.#PIBFactCheck
❌The claim being made in this post is #misleading! Here’s the real… pic.twitter.com/hIyPPcvALF
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) December 22, 2025
इनकम टैक्स एक्ट 2025 क्या बदल रहा है?
भारत सरकार 1 अप्रैल, 2026 से दशकों पुराने ‘इनकम टैक्स एक्ट 1961’ की जगह नया और आधुनिक ‘इनकम टैक्स एक्ट 2025’ लागू करने जा रही है. इसका मुख्य उद्देश्य टैक्स प्रक्रिया को सरल बनाना है.
पुराने कानून के 819 मुश्किल सेक्शन्स को हटाकर अब छोटे और स्पष्ट प्रावधान लाए गए हैं. पुराने कानून के सेक्शन 132 में पहले से ही अधिकारियों को प्रॉपर्टी की तलाशी और दस्तावेज जब्त करने का अधिकार था। नए एक्ट के सेक्शन 247 के तहत अब डिजिटल दौर को देखते हुए कंप्यूटर सिस्टम या ‘वर्चुअल डिजिटल स्पेस’ के एक्सेस कोड को ओवर-राइड करने (पहुंच प्राप्त करने) का प्रावधान जोड़ा गया है.
डिजिटल डेटा क्यों है जरूरी?
PIB ने स्पष्ट किया कि आज के समय में टैक्स चोरी करने वाले लोग अपना रिकॉर्ड सर्वर और क्लाउड स्टोरेज में छिपाते हैं. ऐसे में कोर्ट में टैक्स चोरी साबित करने और चोरी की गई सटीक रकम का पता लगाने के लिए डिजिटल सबूत इकट्ठा करना अनिवार्य हो गया है.
अगर आप एक ईमानदार टैक्सपेयर हैं, तो आपको डरने की जरूरत नहीं है. सरकार का यह कदम केवल उन लोगों के खिलाफ है जो तकनीक का सहारा लेकर बड़े स्तर पर टैक्स की हेराफेरी करते हैं.