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Gold Silver Outlook 1979: साल 2026 में कैसा रहेगा सोने का हाल, क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

Gold Silver Outlook 1979: सोना-चांदी में हाल की तेज बढ़त 2026 में धीमी हो सकती है, लेकिन केंद्रीय बैंकों की खरीद और औद्योगिक मांग से इनका भविष्य सकारात्मक है. निवेशकों को संतुलित एसेट एलोकेशन अपनाना चाहिए.

By: sanskritij jaipuria | Published: December 28, 2025 10:07:26 AM IST



Gold Silver Outlook 1979: पिछले कुछ समय में सोने और चांदी की कीमतों में तेज बढ़त देखने को मिली है. निवेशकों को अच्छा मुनाफा भी हुआ है. लेकिन जानकारों का मानना है कि जिस तरह की तेजी हाल के महीनों में दिखी है, वैसी तेजी 2026 में शायद न दोहराई जाए. इसके बावजूद, इन कीमती धातुओं को लेकर तस्वीर पूरी तरह गलत नहीं है.

कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी नीलेश शाह के अनुसार, सोना और चांदी में जो अचानक और तेज उछाल आया है, वो असामान्य था. ऐसे उछाल बार-बार नहीं होते. इसलिए 2026 में कीमतों की रफ्तार थोड़ी धीमी हो सकती है. हालांकि, इसका ये मतलब नहीं है कि इन धातुओं की कीमतें गिर ही जाएंगी. आगे का रुझान अभी भी संतुलित और सही माना जा सकता है.

सोने को क्यों मिल रहा है सहारा

सोने की कीमतों को सबसे बड़ा सहारा केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीद से मिल रहा है. कई देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं. जब तक केंद्रीय बैंक तय कीमतों पर सोना खरीदते रहेंगे, तब तक इसकी कीमतों में मजबूती बनी रह सकती है.

 WGC की रिपोर्ट पर नजर जरूरी

नीलेश शाह ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे हर महीने वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की रिपोर्ट देखें. इस रिपोर्ट से ये समझने में मदद मिलती है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक कितना सोना खरीद रहे हैं. इससे सोने के भाव का अंदाजा लगाना आसान हो जाता है.

चांदी सिर्फ निवेश की धातु नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल उद्योगों में भी बड़े पैमाने पर होता है. खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर पैनल और इलेक्ट्रॉनिक्स में इसकी मांग बढ़ी है. लेकिन चांदी के मामले में थोड़ी गहरी समझ जरूरी है. अगर इसकी कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं, तो उद्योग इसके ऑप्शन तलाश सकते हैं. इससे भविष्य में मांग पर असर पड़ सकता है.

 निवेशकों के लिए एसेट एलोकेशन क्यों जरूरी

नीलेश शाह का मानना है कि निवेशकों को किसी एक साधन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. पोर्टफोलियो को रियल एस्टेट, डेट, शेयर बाजार और सोना-चांदी जैसे अलग-अलग साधनों में बांटना चाहिए. इसी को एसेट एलोकेशन कहा जाता है. इससे जोखिम कम होता है और लंबे समय में बेहतर संतुलन बनता है.

रिकॉर्ड स्तर पर दाम

हाल ही में सोने और चांदी ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं. चांदी ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचा स्तर छुआ, वहीं भारत में भी इसके दाम काफी बढ़े. सोने की कीमतों में भी इस साल जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. साल 1979 के बाद ये सबसे बड़ी सालाना बढ़त मानी जा रही है. चांदी में तो इससे भी ज्यादा तेजी आई है.

कुल मिलाकर, 2026 में सोना और चांदी शायद उतनी तेज दौड़ न लगाएं, जितनी हाल में दिखी है. फिर भी, केंद्रीय बैंकों की खरीद और औद्योगिक मांग के कारण इनका भविष्य पूरी तरह कमजोर नहीं कहा जा सकता. निवेशकों के लिए सबसे जरूरी बात यही है कि वे संतुलन बनाए रखें और समझदारी से निवेश करें.

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