Vastu Tips: वास्तु शास्त्र हमारे जीवन का अभिन्न अंग है. यह केवल घर या भवन की बनावट तक सीमित नहीं है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य, सुख–समृद्धि और मानसिक शांति से भी गहराई से जुड़ा है. यहां प्रस्तुत हैं कुछ सरल वास्तु उपाय, जिन्हें अपनाने से जीवन की कई कठिनाइयां स्वतः ही दूर होने लगती हैं. चलिए जानते हैं Pandit Shashishekhar Tripathi का क्या कहना है
घर में पौधों का चयन सोच-समझकर करें
घर में कांटेदार पौधे या जिन पौधों की पत्तियों और टहनियों से दूध निकलता है, उन्हें कभी न लगाएं. ऐसे पौधों से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और फेफड़ों, किडनी व मूत्ररोग जैसी समस्याओं की संभावना भी बढ़ जाती है. घर के भीतर हरे–भरे, कोमल पत्तियों वाले और सुगंधित पौधे ही लगाएं, ये वातावरण को शुद्ध और मन को प्रसन्न रखते हैं.
वस्त्र रखने और ड्रेसिंग टेबल की दिशा
कपड़े रखने की अलमारी या वार्डरोब वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम), नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) या दक्षिण दिशा में रखना शुभ रहता है. ड्रेसिंग टेबल को उत्तर दिशा में इस प्रकार रखें कि चेहरा पूर्व की ओर रहे इससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है.
सोने की दिशा और शयनकक्ष की स्थिति
सिरहाना दक्षिण दिशा में रखकर सोना अत्यंत शुभ माना गया है. इससे धन की वृद्धि होती है और यश-कीर्ति में वृद्धि होती है. यदि आपका घर बहुमंजिला है, तो गृहस्वामी का शयनकक्ष ऊपरी मंजिल पर दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए यह स्थिरता और सफलता का प्रतीक है.
भवन, पोर्टिको और बालकनी की दिशा
यदि आपके भवन का मुख पूर्व की ओर है और सड़क उत्तर-पूर्व दिशा में जा रही है, तो पोर्टिको भी उत्तर-पूर्व दिशा की ओर बनवाना शुभ होता है. पूर्वमुखी भवन में बालकनी केवल उत्तर-पूर्व की ओर रखें, दक्षिण-पूर्व दिशा में बालकनी बनवाना अशुभ परिणाम दे सकता है.
रसोईघर की शुभ दिशा
रसोईघर ईशान या उत्तर दिशा में कभी न बनवाएं. यह दिशा रसोई के लिए अत्यंत अशुभ मानी गई है इससे घर में अनावश्यक खर्च, धन हानि और अप्रत्याशित व्यय बढ़ जाते हैं. रसोईघर के लिए आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) सर्वश्रेष्ठ होता है.
ड्राइंग रूम और प्रवेश द्वार की सजावट
स्वागत कक्ष (ड्राइंग रूम) के प्रवेश द्वार के ठीक ऊपर किसी देवी-देवता की तस्वीर न लगाएं. ऐसा करना वास्तु दृष्टि से अनुचित माना जाता है और इससे शुभ ऊर्जा का प्रवाह बाधित होता है.
कूलर या इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की स्थिति
ड्राइंग रूम या बैठक में कूलर को कभी भी आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में न रखें. यह स्थान अग्नि तत्व का होता है, इसलिए यहां पानी से जुड़ी वस्तुएं रखना वास्तु दोष उत्पन्न करता है. कूलर को पश्चिम दिशा में रखना अधिक शुभ होता है.

