नई दिल्ली से मनोहर केसरी की रिपोर्ट: मोदी सरकार ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री यानी कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों को राहत देते हुए कपास (cotton) पर लगने वाले आयात (इंपोर्ट) शुल्क में छूट 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया है। पहले ये छूट 19 अगस्त 2025 से 30 सितंबर 2025 तक थी यानी 1 अक्टूबर 2025 से 31 दिसंबर 2025 तक इन्हें वित्त मंत्रालय ने मदद की है।ऐसे में इस घोषणा के बाद कपास को दूसरे देशों से आयात करने पर लागत कम आएगी और एक्सपोर्ट करने वाली कम्पनियों को लाभ होगा और साथ ही, उन उद्योगों को भी फायदा मिलेगा जहां ज्यादा मजदूर काम करते हैं।
दरअसल, कपास के आयात पर केंद्र सरकार ने 11% आयात शुक्ल लगाया था जो अब छूट के बाद 0% इंपोर्ट ड्यूटी देना पड़ेगा। 11% आयात शुल्क में 5% बेसिक कस्टम ड्यूटी, 5% एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर व डेवलपमेंट सेस और दोनों पर 1% सरचार्ज शामिल थे।
केंद्र सरकार ने ये बड़ी राहत तब दी है जब कपड़ा उद्योग मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से भारत के समानों पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने से क्लॉथ इंडस्ट्री को अमेरिका में कपड़े बेचना महंगा पड़ रहा है और इसकी वजह से इसकी बिक्री पर असर पड़ा है। अमेरिका से क्लॉथ की मांग कम हुई है।लेकिन,कपास को लेकर देश की राजनीति गर्म है, केजरीवाल ने किसानों के साथ धोखा बताया। ऐसे में इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े संगठनों ने सरकार से कपास पर लगने वाला 11% आयात शुल्क हटाने की मांग की थी, ताकि, भारतीय कंपनियां भी इंटरनेशनल मार्केट पर बेहतर कर सके।
हालांकि, इसे लेकर देश में राजनीति भी तेज हो गई है। दिल्ली पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये भारतीय किसानों के साथ धोखा है, जब अक्टूबर में हमारे किसानों की कपास मंडी में आएगी, तब, उन्हें औने पौने दाम पर बेचनी होगी । गुजरात, पंजाब, विदर्भ, तेलंगाना के किसानों पर असर पड़ेगा। ट्रंप ने 50% टैरिफ लगाया तो भारत सरकार अमेरिका पर 100% टैरिफ लगा दे।अगर अमेरिका से कपास के आयात की बात करें तो , USDA की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका से आयातित करीब 95% कपास को प्रोसेस कर वस्त्र और परिधान के रूप में फिर से अमेरिकी एक्सपोर्ट किया जाता है।
भारत ने साल 2020 में 147.13 मिलियन डॉलर का अमेरिका कॉटन को इंपोर्ट किया था। जबकि , साल 2021 में बढ़कर 211.32 मिलियन डॉलर और साल 2022 में 491.20 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया थे। लेकिन, अगले दो सालों में यह घटकर साल 2023 में 223.69 मिलियन डॉलर और साल 2024 में 209 मिलियन डॉलर रह गया। वहीं ,साल 2025 के पहले 6 महीनों में एक्सपोर्ट 109% बढ़कर 181.46 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।