Rohan Kanhai Birthday: वेस्टइंडीज के पूर्व क्रिकेटर रोहन कन्हाई का आज (26 दिसंबर) जन्मदिन है. उनका जन्म 26 दिसंबर 1935 में गुयाना के पोर्ट मोरेंट में हुआ था. भारतीय मूल रोहन कन्हाई 1960 के दशक की शुरुआत में वेस्टइंडीज के सबसे शानदार स्ट्रोक-मेकर थे, जो अक्सर अपने शॉट्स की ताकत से खुद को पैरों पर खड़ा कर देते थे.
रोहन कन्हाई ने वेस्टइंडीज के लिए 79 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 6227 रन बनाए. इसके लिए उन्होंने सिर्फ 2604 गेंद लिए. उनका औसत 47.53 का रहा. उन्होंने अपने टेस्ट करियर में कुल 28 अर्धशतक और 15 शतक लगाए. इसके अलावा उनके वनडे करियर का बात करें तो उन्होंने 7 मैचों में 164 रन बनाए, जिसमें दो अर्धशतक शामिल थे.
विकेटकीपर-बल्लेबाज के तौर पर की थी करियर की शुरुआत
कन्हाई ने करियर की शुरुआत विकेटकीपर-बल्लेबाज के तौर पर की थी. उन्होंने वेस्टइंडीज के लिए अपने पहले तीन टेस्ट में विकेटकीपिंग की थी. उनको फॉलिंग हुक शॉट के लिए भी जाना जाता है, जब वह यह शॉट खेलते थे, तो वह असल में जमीन पर अपनी पीठ के बल लेटे होते थे.
उन्हें अपना पहला टेस्ट शतक बनाने के लिए अपने 13वें टेस्ट तक इंतजार करना पड़ा, लेकिन उसके बाद उन्हें रोकना मुश्किल हो गया. यह शतक उन्होंने कलकत्ता में भारत के खिलाफ बनाया था और उनका वह दौरा भी बहुत अच्छा रहा था. वह जल्द ही भारतीय दर्शकों के चहेते बन गए, जिन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि उनकी टीम हार रही है, वे कन्हाई के लिए चीयर करते थे.
भारत में लोगों पर उनका ऐसा असर था कि सुनील गावस्कर ने अपने बेटे का नाम रोहन, कन्हाई के नाम पर रखा, जिन्हें वह अब तक का सबसे महान बल्लेबाज मानते थे. एक कप्तान के तौर पर रोहन कन्हाई को सफलता और असफलता दोनों बराबर मात्रा में मिलीं.
रोहन कन्हाई ने खराब फॉर्म के बाद लिया रिटायरमेंट
1974 में उनका फॉर्म खराब हो गया और वेस्टइंडीज अपने घर में इंग्लैंड के खिलाफ सिर्फ ड्रॉ ही कर पाई. इस वजह से उन्हें टेस्ट से रिटायर होना पड़ा. रिटायरमेंट के बाद कन्हाई राष्ट्रीय टीम के कोच बनने वाले पहले व्यक्ति बने. अप्रैल 2013 में, रोहन कन्हाई को ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया.
वहीं वनडे विश्व कप की शुरुआत साल 1975 में हुई थी. क्रिकेट का पहला विश्व कप इंग्लैंड में खेला गया था, जिसमें वेस्टइंडीज की टीम ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में हराकर चैंपियन बनी थी, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि कैरेबियाई टीम को चैंपियन बनाने में रोहन कन्हाई का बड़ा हाथ था. इस मैच में कन्हाई ने 105 गेंद खेलकर 55 रनों की दमदार पारी खेली थी.
सुनील गावस्कर के बेटे का नाम आखिर रोहन कैसे पड़ा?
अब आपको बताते हैं कि सुनील गावस्कर के बेटे का नाम आखिर रोहन कैसे पड़ा? दरअसल, सुनील गावस्कर ने 1971 में वेस्टइंडीज के दौरे पर भारत के लिए डेब्यू किया था. उस मैच में रोहन कन्हाई से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने बेटे का नाम उनके नाम पर रखने का फैसला किया.
गावस्कर ने एक बार बताया था-, “मेरी डेब्यू सीरीज में अगर मैंने कोई खराब शॉट खेला तो अगले ओवर के लिए स्लिप में जाते समय वह मेरे कान में फुसफुसाते फोकस करो, क्या तुम्हें 100 नहीं चाहिए? तुम्हें क्या हो गया है? वह वास्तव में चाहते हैं कि मैं 100 बनाऊं.”
उन्होंने कहा- “मैदान के बाहर वह सबसे अच्छे लोगों में से एक थे, जिनसे मैं कभी मिला. ऐसे में अपने बेटे का नाम उनके नाम पर रखना एक आसान फैसला था.” गावस्कर ने कहा कि संयोग से कन्हाई के वेस्टइंडीज टीम के साथी एल्विन कालीचरण ने भी अपने बेटे का नाम रोहन रखा था. बता दें कि सुनील गावस्कर की तरह उनके बेटे रोहन गावस्कर भी क्रिकेटर बने. उन्होंने भारत के लिए 11 वनडे मैच खेले.
रोहन कन्हाई कैसे खेलते थे ‘फॉलिंग स्वीप शॉट’?
एक और बात जो कम लोगों को पता होगी, जिस शॉट को आज के जमाने में 360 डिग्री के रूप में जाना जाता है. कन्हाई उसे लेटकर मारते थे, उस समय इस शॉट को ‘फॉलिंग स्वीप शॉट’ कहा जाता था. यह स्वीप शॉट की तरह होता है. शॉट लगाते समय रोहन कन्हाई क्रीज पर लेट जाते. रोहन कन्हाई से पहले क्रिकेट इतिहास में किसी खिलाड़ी ने ऐसा शॉट नहीं खेला था.