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बांग्लादेश को Sheikh Hasina क्यों नहीं सौंपेगा भारत? जानें पीछे छिपे कारण

India Refuses Extradition: भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह बांग्लादेश को शेख हसीना नहीं सौंपेगा, ऐसे में आइए जानें इसके पीछे छिपी वजह.

By: Shristi S | Published: November 18, 2025 11:12:51 AM IST



Sheikh Hasina Extradition Issue: बांग्लादेश (Bangladesh) की पूर्व पीएम शेख हसीना (Sheikh Hasina) को सोमवार को इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश (ICT-BD) ने मौत की सजा सुनाई है, जिसके बाद से हीं अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस भारत से शेख हसीना को वापस भेजने की मांग कर रहा है, जिसपर भारत ने साफ कर दिया है कि वह शेख हसीना को वापस बांग्लादेश नहीं भेजेंगे. भारत ने यह मांग 2024 के दिसंबर में भी नहीं मानी थी. अब आइए विस्तार से समझे कि भारत ने यह कदम क्यों उठाया है.

क्या है पूरा मामला?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, ट्रिब्यूनल का शेख हसीना को मौत की सजा सुनाने का फैसला एकतरफा था, जिसमें हसीना को अपना केस पेश करने का मौका नहीं मिला. यह मामला क्रिमिनल से ज़्यादा पॉलिटिकल है, जिससे प्रत्यर्पण के खिलाफ भारत की स्थिति मजबूत होती है.

भारत और बांग्लादेश ने 2013 में एक एक्सट्रैडिशन ट्रीटी पर साइन किए थे, जिसके आधार पर बांग्लादेश हसीना का प्रत्यर्पण चाहता है. इसमें 2016 में बदलाव किया गया था. इस ट्रीटी के तहत, भारत ने 2020 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के दो दोषियों को बांग्लादेश भेजा था. इस ट्रीटी में दोनों देशों के बीच अपराधियों के लेन-देन के नियम शामिल हैं. हालांकि, किसी अपराधी के एक्सट्रैडिशन की इजाज़त तभी दी जाती है जब वह अपराध दोनों देशों में अपराध माना जाता हो, कम से कम एक साल की सज़ा हो, और आरोपी के खिलाफ अरेस्ट वारंट हो.

इन आधारों पर नहीं हो सकता प्रत्यर्पण

अब आइए समझें कि भारत शेख हसीना का प्रत्यर्पण क्यों नहीं कर सकता है, इसके लिए 2 आधार शेष है.
1. पॉलिटिकल क्राइम प्रोविज़न: ट्रीटी के आर्टिकल 6 के मुताबिक, अगर क्राइम को पॉलिटिकल माना जाता है तो भारत एक्सट्रैडिशन से मना कर सकता है. हालांकि, मर्डर, जेनोसाइड और इंसानियत के खिलाफ क्राइम इस प्रोविज़न से बाहर हैं. ICT ने शेख हसीना को इन गंभीर आरोपों में दोषी पाया. इसलिए, भारत यह दावा नहीं कर सकता कि पूरा मामला पॉलिटिकल है.
2. फेयर ट्रायल की कमी: ट्रीटी के आर्टिकल 8 के तहत, भारत एक्सट्रैडिशन से मना कर सकता है अगर आरोपी की जान को खतरा हो, फेयर ट्रायल न हो, या ट्रिब्यूनल का मकसद इंसाफ के बजाय पॉलिटिकल हो. भारत यह सब आसानी से साबित कर सकता है, क्योंकि यूनाइटेड नेशंस पहले ही ट्रिब्यूनल के स्ट्रक्चर, जजों की नियुक्ति और प्रोसेस पर सवाल उठा चुका है. शेख हसीना को अपना केस लड़ने के लिए वकील नहीं दिया गया. कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि जजों पर सरकार का दबाव था.

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