Home > व्यापार > फेस्टिवल खत्म होते ही सोने-चांदी की रौनक भी गायब, कीमतों में आई जबरदस्त गिरावट! जानें क्या है इसके पीछे की वजह?

फेस्टिवल खत्म होते ही सोने-चांदी की रौनक भी गायब, कीमतों में आई जबरदस्त गिरावट! जानें क्या है इसके पीछे की वजह?

Gold-Silver Rate: 17 अक्टूबर को सोना ₹1,30,874 और चांदी ₹1,71,275 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थी. 13 दिनों में सोने की कीमत ₹11,255 और चांदी की कीमत ₹24,492 गिर चुकी है.

By: Shubahm Srivastava | Published: October 31, 2025 12:15:38 AM IST



Gold-Silver Price India: सोने की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी है. 30 नवंबर को भी सोने की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई. इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, 10 ग्राम सोने की कीमत ₹1,009 घटकर ₹1,19,619 रह गई, जबकि एक दिन पहले यह ₹1,20,628 थी. वहीं, चांदी की कीमत ₹150 बढ़कर ₹1,46,783 प्रति किलोग्राम हो गई, जो 29 अक्टूबर को ₹1,46,633 थी.

13 दिनों से गिर रही कीमतें

17 अक्टूबर को सोना ₹1,30,874 और चांदी ₹1,71,275 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थी. तब से, केवल 13 दिनों में सोने की कीमत ₹11,255 और चांदी की कीमत ₹24,492 गिर चुकी है. हालांकि, IBJA की दरों में 3% GST, मेकिंग चार्ज और ज्वैलर्स का मार्जिन शामिल नहीं है, इसलिए कीमतें स्थानीय बाजार दरों से अलग हैं. RBI इन दरों का उपयोग कई बैंकों के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड दरें और गोल्ड लोन दरें निर्धारित करने के लिए करता है.

सोना खरीदते समय ध्यान दें

केवल BIS हॉलमार्क वाला सोना ही खरीदें. हॉलमार्क शुद्धता और कैरेट की जानकारी देता है. इसके अलावा कीमत और वज़न की भी जांच करें – 24 कैरेट, 22 कैरेट और 18 कैरेट सोने की कीमतें अलग-अलग होने के कारण, IBJA जैसी विश्वसनीय वेबसाइट से सोने की कीमतों और वजन की जांच करें.

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गिरावट के तीन मुख्य कारण:

मौसमी मांग का अंत: दिवाली और शादियों के मौसम के बाद, भारत में सोने और चाँदी की मांग कम हो जाती है, जिससे कीमतों पर दबाव पड़ता है.

वैश्विक तनाव में कमी: सोने और चांदी को सुरक्षित निवेश माना जाता है. अंतरराष्ट्रीय तनाव में कमी के कारण निवेशक जोखिम भरी संपत्तियों की ओर लौट रहे हैं, जिससे कीमती धातुओं की मांग कम हो रही है.

मुनाफावसूली और जरूरत से ज़्यादा खरीदारी के संकेत: हालिया तेज़ी के बाद, कई निवेशकों ने मुनाफ़ावसूली शुरू कर दी. RSI जैसे तकनीकी संकेतक ज़रूरत से ज़्यादा खरीदारी वाले क्षेत्र दिखा रहे थे, जिससे बिकवाली शुरू हो गई.

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