Pakistan:ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. सेना प्रमुख असीम मुनीर की शक्तियों में बढ़ोतरी की जा रही है. शाहबाज़ शरीफ़ सरकार ने सेना प्रमुख और फील्ड मार्शल के पदों को संवैधानिक दर्जा देने का फैसला किया है. कानून राज्य मंत्री ने पाकिस्तानी मीडिया को इसकी जानकारी दी. मुनीर की शक्तियों को बढ़ाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पेश किया गया है. इसके पारित होने पर, मुनीर का पद संवैधानिक हो जाएगा और उन्हें संवैधानिक शक्तियां प्राप्त होंगी.
वर्तमान में पाकिस्तान में राष्ट्रपति का पद संवैधानिक है. सेना प्रमुख का पद कार्यकारी और प्रशासनिक होता है. शनिवार को, पाकिस्तान की शाहबाज़ शरीफ़ सरकार ने संसद में 27वां संविधान संशोधन पेश किया. कहा जा रहा है कि यह संवैधानिक संशोधन सेना प्रमुख को अपार शक्तियां प्रदान करेगा. यह उन्हें देश की रक्षा सेनाओं का प्रमुख भी बनाता है, जिससे उन्हें थल सेना, नौसेना और वायु सेना पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त होगा. इस संशोधन के तहत, रक्षा बल प्रमुख (सीडीएफ) का एक नया पद सृजित किया जाएगा.
पाकिस्तान में होने वाला है बड़ा
कौन सी शक्तियां प्रदान की जाएंगी?
मसौदे के अनुसार, ये बदलाव प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ और राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी के नेतृत्व में लागू किए जा रहे हैं, जिससे आसिम मुनीर को और सशक्त बनाने की संभावना है. संसद में पेश 27वें संविधान संशोधन विधेयक में संविधान के अनुच्छेद 243 में बदलाव का प्रस्ताव है, जो सशस्त्र बलों और अन्य मामलों से संबंधित है.
संशोधन विधेयक के तहत, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर थल सेनाध्यक्ष और रक्षा बलों के प्रमुख की नियुक्ति करेंगे. थल सेनाध्यक्ष, जो रक्षा बलों के प्रमुख भी होंगे, प्रधानमंत्री के परामर्श से राष्ट्रीय सामरिक कमान के प्रमुख की नियुक्ति करेंगे. इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय सामरिक कमान का प्रमुख पाकिस्तानी सेना से होगा.
कानून मंत्री आज़म नज़ीर तरार ने सीनेट में अपने भाषण में कहा कि यह संशोधन केवल एक प्रस्ताव है और संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होने तक संविधान का हिस्सा नहीं बनेगा. उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 243 में संशोधन में पाकिस्तानी सेना प्रमुख को “रक्षा बलों के प्रमुख” की उपाधि देने का प्रस्ताव है.
क्या वह राष्ट्रपति से ज़्यादा शक्तिशाली हो जाएंगे?
- राष्ट्रपति की तरह सेना प्रमुख का पद भी संवैधानिक हो जाएगा.
- नए प्रस्ताव के तहत, केवल संसद ही सेना प्रमुख को हटा सकती है. इसके लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत आवश्यक है.
- सेना प्रमुख तीनों सेनाओं से संबंधित नियुक्तियां करेंगे.
- पाकिस्तान में, परमाणु संबंधी निर्णय लेने का अधिकार केवल सेना प्रमुख के पास है.
- सेना प्रमुख रणनीतिक मामलों की भी देखरेख करेंगे.
- संविधान यह भी प्रावधान करेगा कि फील्ड मार्शल का पद और उससे जुड़े विशेषाधिकार आजीवन रहेंगे. इसका अर्थ है कि व्यक्ति आजीवन इस सम्मान और पद पर बना रहेगा.
क्या बदलाव किए जाएंगे?
इस संवैधानिक संशोधन (27वां संशोधन) के मसौदे में अनुच्छेद 243, जो पाकिस्तानी सेना से संबंधित है में कई महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव है.
सेना प्रमुख और रक्षा बल प्रमुख की नियुक्ति: संशोधन के अनुसार, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर सेना प्रमुख और रक्षा बल प्रमुख की नियुक्ति करेंगे.
संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का उन्मूलन: अनुच्छेद 243 में संशोधन के तहत, संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष का पद 27 नवंबर, 2025 को समाप्त कर दिया जाएगा.
नई ज़िम्मेदारियां और नियुक्तियां: नया प्रस्ताव सेना प्रमुख को “रक्षा बलों का प्रमुख” बनाने का है. यह पद उन्हें राष्ट्रीय सामरिक कमान के प्रमुख की नियुक्ति का अधिकार देगा—जो प्रधानमंत्री के परामर्श से किया जाएगा, और यह प्रमुख हमेशा पाकिस्तानी सेना से ही होगा.
उच्च सैन्य पद: सरकार के पास किसी भी योग्य सैन्य अधिकारी को आजीवन फील्ड मार्शल, एयर मार्शल या फ्लीट एडमिरल का मानद पद प्रदान करने का अधिकार होगा. फील्ड मार्शल का पद आजीवन होगा, अर्थात एक बार इस पद पर आसीन होने के बाद, उन्हें आजीवन फील्ड मार्शल कहा जाएगा.
संवैधानिक संरक्षण: फील्ड मार्शल, एयर मार्शल या फ्लीट एडमिरल जैसे पदों को संवैधानिक संरक्षण दिया जाएगा. प्रधानमंत्री उन्हें हटा नहीं सकते.केवल संसद ही ऐसा कर सकती है.
भविष्य की व्यवस्थाएं: वर्तमान अध्यक्ष ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के कार्यकाल पूरा होने के बाद, यह पद समाप्त कर दिया जाएगा और इसकी ज़िम्मेदारियां रक्षा बलों के प्रमुख को हस्तांतरित कर दी जाएंगी. जब कोई फील्ड मार्शल सक्रिय कमान छोड़ता है, तो सरकार चाहे तो उसे मानद या सलाहकार की भूमिका में रख सकती है.
इस संशोधन को पाकिस्तान के सैन्य ढांचे और शक्ति संतुलन में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि इससे सेना प्रमुख को पहले से कहीं अधिक अधिकार और आजीवन मान्यता मिलेगी.

