Iran Nuclear Program: अमेरिका और इजराइल के हाल ही में हुए हमलों के बावजूद, ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से सक्रिय कर दिया है. वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ (CSIS) की नई उपग्रह तस्वीरों से नतांज के दक्षिण में पिकैक्स पर्वत क्षेत्र में तेज़ी से हो रहे भूमिगत निर्माण का पता चला है.
यह परियोजना 2020 से चल रही है और इसमें तीन दिशाओं में सुरंगें और एक मजबूत सुरक्षा दीवार दिखाई दे रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक नया सेंट्रीफ्यूज असेंबली प्लांट, एक परमाणु विस्तार परियोजना या एक गुप्त यूरेनियम संवर्धन केंद्र हो सकता है.
ईरान ने 400 किलोग्राम यूरेनियम छिपाया
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरान ने लगभग 400 किलोग्राम उच्च संवर्धित यूरेनियम (HEU) एक गुप्त स्थान पर छिपा रखा है, जो लगभग 10 परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त है. कथित तौर पर इस सामग्री को अमेरिका और इज़राइल के हमलों से पहले एक सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया गया था. CSIS विशेषज्ञों के अनुसार, ईरान के पास अब परमाणु बम बनाने की तकनीकी क्षमता है, हालाँकि उसे अभी भी कई तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
ट्रंप की बात नहीं मान रहे हैं नेतन्याहू! फिर गाजा में मची तबाही, सीजफायर का हुआ सत्यानाश
तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर गिराए गए थे बम
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि अगर अमेरिका समानता और ईमानदारी से बातचीत करने को तैयार है तो ईरान एक नए समझौते के लिए तैयार है. हालांकि, जून 2025 में, अमेरिका और इजराइल ने तीन प्रमुख परमाणु स्थलों – नतांज, इस्फहान और फोर्डो पर हवाई हमले किए, जिससे उनके बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा और यूरेनियम संवर्धन प्रक्रिया रुक गई.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तब कहा था कि ईरान परमाणु बम बनाने के बहुत करीब है. इस बीच, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी एक रिपोर्ट जारी की जिसमें कहा गया था कि ईरान के पास परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त संवर्धित यूरेनियम है. हालांकि, ईरान ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल ऊर्जा उत्पादन और शांति के लिए है.
परमाणु सुविधाओं को एडवांस कर रहा ईरान – CSIS
CSIS ने चेतावनी दी है कि ईरान गुप्त रूप से अपनी परमाणु सुविधाओं का नवीनीकरण कर रहा है. इसलिए, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ईरान पर NPT और IAEA के नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए कड़ा दबाव डालना चाहिए, जिससे भविष्य में विश्वसनीय परमाणु वार्ता का मार्ग प्रशस्त हो सके.

