मां-बाप हो जाएं अलर्ट ! 13 साल की उम्र में भी किया क्राइम तो जाना पड़ेगा जेल

स्वीडन सरकार ने देश में बढ़ती गैंग हिंसा (Gang Violence) और किशोर अपराध (Juvenile Crime) पर लगाम लगाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन (Prime Minister Ulf Kristersson) ने सितंबर में घोषणा करते हुए कहा कि अब आपराधिक जिम्मेदारी की न्यूनतम आयु (Age Limit) 15 साल से घटाकर 13 साल करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है.

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Sweden Government: स्वीडन की सरकार ने देश में बढ़ती गैंग हिंसा और किशोर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए एक कड़ा कदम लिया है. दरअसल, वहां के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन ने घोषणा करते हुए कहा कि आपराधिक जिम्मेदारी की न्यूनतम आयु 15 साल के घटाकर 13 साल करने का महत्वपूर्ण कदम लिया है. हालांकि, यह कानून सिर्फ गंभीर अपराध जैसे हत्या, गोलीबारी, बम धमाके औरअन्य हिंसक वारदातों पर ही सिर्फ और सिर्फ लागू होगा. 

क्यों ज़रूरी समझा गया यह कदम ? 

स्वीडिश पुलिस के मुताबिक, अपराधी गिरोह अब कम उम्र के बच्चों को अपराध में शामिल कर रहे हैं, क्योंकि 15 साल से कम उम्र के किशोरों पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है. ये बच्चे हथियार पहुंचाने, गोलीबारी करने और धमकी देने जैसे अपराधों में इस्तेमाल किए जाते हैं. इसके अलावा सरकार का यही भी मानना है कि कानूनी उम्र घटाने से यह loophole बंद हो जाएगा और अपराधी गिरोह बच्चों को “ढाल” की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकतें हैं. 

जल्द बनाए जाएंगे नए सुधार केंद्र 

स्वीडन सरकार ने पहले ही 15–17 साल के किशोर अपराधियों के लिए विशेष सुधार इकाइयां (juvenile Reform Units) बनाने का ऐलान किया है. अब प्रस्ताव है कि इन्हें 13–14 साल के दोषियों तक भी बढ़ाया जाए. स्वीडन के न्याय मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा कि 2025 की गर्मियों तक इन केंद्रों में बच्चों को भेजने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. 

विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों की चिंता

लेकिन, बाल अधिकार कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा कि सिर्फ सख्ती से अपराध कम नहीं होंगे. “कम उम्र में सजा देना बच्चों के सुधार और मानसिक विकास की प्रक्रिया को पूरी तरह से बाधित करता है. ” साथ ही सरकार को अपराध की जड़ तक जाना चाहिए जैसे गरीबी, पारिवारिक हिंसा, और शिक्षा की कमी जो बच्चों को अपराध की तरफ धकेलने पर मजबूर कर देता है. 

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जर्मनी में भी तेजी से बढ़ाया जा रहा दबाव 

जर्मनी में भी कुछ रूढ़िवादी नेताओं ने आपराधिक उम्र सीमा को 14 से घटाकर 12 साल करने की सख्त मांग की है, क्योंकि 2024 में हिंसक अपराधों में किशोर संदिग्धों की संख्या 11.3 प्रतिशत बढ़ी. लेकिन, सरकार अभी भी अपनी पुरानी नीति पर कायम है.

“सजा नहीं, सुधार पहले।”

डेनमार्क का अनुभव: एक चेतावनी

साल 2010 में डेनमार्क ने उम्र घटाकर 14 साल कर दी थी, लेकिन दो साल बाद ही उसे वापस 15 साल कर दिया गया था. अध्ययनों में पाया गया कि किशोर अपराधों में कोई कमी नहीं आई, बल्कि कम उम्र में जेल भेजे गए बच्चों में दोबारा अपराध करने की संभावना बढ़ गई.

अब दो ध्रुवों में बंटा है यूरोपीय समाज 

एक तरफ सुरक्षा और सजा की मांग है तो वहीं दूसरी तरफ शिक्षा, पुनर्वास और मानसिक सुधार की अपील है. विशेषज्ञों का कहना है कि “असल सवाल यह नहीं कि बच्चों को किस उम्र में जेल भेजा जाए, बल्कि यह कि समाज उन्हें अपराध की राह पर जाने से आखिर कैसे रोक सकता है.”

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