Afghan Deportation: अफगान लोगों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। पहले पाकिस्तान, फिर ईरान और अब जर्मनी से अफगानों को निकाला जा रहा है। शुक्रवार सुबह बर्लिन से एक विमान 81 अफ़ग़ान नागरिकों को लेकर उड़ान भरी। खबरों के मुताबिक, जर्मनी ने कतर की मदद से यह निर्वासन किया और साफ कर दिया कि यह तो बस शुरुआत है और आगे भी बड़ी संख्या में अफ़ग़ानों को निकाला जाएगा।
अफग़ानिस्तान में तालिबान सरकार के सत्ता में आने के बाद से जर्मनी से निकाले गए लोगों का यह दूसरा जत्था है। हालाँकि, नई जर्मन सरकार ने पहले ही सख्त आव्रजन कानूनों को लागू करने की घोषणा कर दी थी। चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने एक चुनावी रैली के दौरान कहा था कि जर्मनी की सीमाएँ अब सभी के लिए खुली नहीं रहेंगी। और अब उनके नेतृत्व में अफगानों के निर्वासन की गति तेज़ हो गई है।
रिपोर्टों के अनुसार, जर्मनी ने जिन अफगान लोगों को निर्वासित किया है, वो लोग हैं जो 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद अफ़ग़ानिस्तान से भागे थे। उन्हें उम्मीद थी कि पश्चिमी देश उन्हें अपना लेंगे। लेकिन अब कुछ और ही होता दिख रहा है। इस कार्रवाई पर जर्मन सरकार का कहना है कि न्यायिक जाँच में दोषी पाए गए लोगों को ही निष्कासित किया गया है।
पाक, ईरान के बाद अब जर्मनी
जानकारी के लिए बता दें कि पिछले तीन महीनों में तीन देशों से अफ़गानों को निकाला जा रहा है, पहले पाकिस्तान, फिर ईरान और अब जर्मनी। 19 अप्रैल को आई एक खबर में कहा गया था कि 19,500 पाकिस्तानी नागरिक देश छोड़ चुके हैं। हर दिन 700-800 अफ़गान नागरिक देश छोड़ रहे हैं। ईरान-पाकिस्तान से निकाले गए ज़्यादातर लोगों ने अपने देश का मुँह भी नहीं देखा था। कुछ पाकिस्तान में पैदा हुए थे, कुछ की बेटियाँ पंजाब में स्कूल गईं, तो कुछ कह रहे थे कि वो कभी अफ़गानिस्तान गए ही नहीं और वहाँ उनका कुछ भी नहीं है।
दूसरी ओर, ईरान ने 29,155 अफ़गान नागरिकों को निकाला है। इसके अलावा, 11 जुलाई को ईरान और पाकिस्तान दोनों ने लगभग 30 हज़ार अफ़गान शरणार्थियों को जबरन निकाला है। इसी कदम के चलते हाल ही में अफ़गानिस्तान की तालिबान सरकार ने ईरान से कहा था कि दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा तुम अपने साथ बर्दाश्त कर सकते हो।

