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France के प्रधानमंत्री लोकोर्नु ने दिया इस्तीफा, यूरोप में मचा हंगामा

France: मैक्रों ने लगभग एक महीने पहले लोकोर्नू को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था, लेकिन विपक्षी दलों ने उनकी नियुक्ति का विरोध करना शुरू कर दिया. लोकोर्नू के विरोध के दो मुख्य कारण थे.

Published by Divyanshi Singh

France: फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू (Sebastien Lecorn) ने एक महीने के भीतर ही इस्तीफा दे दिया है. बजट पेश न कर पाने और राजनीतिक गतिरोध के बाद लेकोर्नू ने इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के बाद पेरिस स्टॉक एक्सचेंज में 1.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. फ्रांस 24 की एक रिपोर्ट के अनुसार, लेकोर्नू ने मंत्रिमंडल गठन के कुछ ही घंटों बाद इस्तीफा दे दिया. विपक्षी दलों ने संसद में लेकोर्नू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया था, जिसे वह गिराने में असफल रहे.

रिपोर्ट के अनुसार मंत्रिमंडल गठन के बाद कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी लेकिन लेकोर्नू ने बैठक से पहले ही इस्तीफा दे दिया. दरअसल, लेकोर्नू को डर था कि अब संसद में उनकी स्वीकार्यता खत्म हो जाएगी. उन्होंने शर्मिंदगी से बचने के लिए इस्तीफा देने का फैसला किया.

एक महीने के भीतर ही इस्तीफा क्यों दिया?

मैक्रों ने लगभग एक महीने पहले लोकोर्नू को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था, लेकिन विपक्षी दलों ने उनकी नियुक्ति का विरोध करना शुरू कर दिया. लोकोर्नू के विरोध के दो मुख्य कारण थे.

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2024 में जब आम चुनाव हुए तो किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला, लेकिन राष्ट्रपति मैक्रों ने प्रधानमंत्री का पद अपने करीबी सहयोगियों को सौंप दिया. इसी क्रम में, फ्रांस बायरू को प्रधानमंत्री का पद दिया गया. उस समय मैक्रों पर अपने करीबी सहयोगियों के लिए संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था. हालांकि बायरू ज़्यादा समय तक पद पर नहीं रहे. लेकोर्नू को प्रधानमंत्री का पद दिया गया. लेकोर्नू भी सदन का विश्वास हासिल करने में विफल रहे.

फ्रांस की आर्थिक स्थिति गंभीर है. सरकार का कर्ज़ लगातार बढ़ रहा है. इसे खत्म करने के लिए लोग लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार ने बजट में कटौती का प्रस्ताव रखा, जिसका लोगों ने कड़ा विरोध किया. इस बजट को सदन में पारित कराना आसान नहीं होगा. बायरू इसे पारित नहीं करवा पाए. अब लोकोर्नू बैकफुट पर आ गए हैं.

नेशनल असेंबली को तत्काल भंग करने की मांग

फ्रांस में प्रतिनिधि सभा में रैली समूह के पास सबसे ज़्यादा सीटें हैं. फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों इस पार्टी को संविधान के ज़रिए सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं, क्योंकि पिछले दो कार्यकाल बेहद खराब रहे हैं. मैक्रों 2027 तक फ्रांस के राष्ट्रपति बने रहेंगे. हालांकि रैली समूह ने नेशनल असेंबली को तत्काल भंग करने की मांग की है. समूह की मांग है कि सरकार नए चुनाव कराए. फ्रांसीसी नेशनल असेंबली में 577 सीटें हैं, जहाँ सरकार बनाने के लिए कम से कम 279 सीटों की आवश्यकता होती है.

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