Bulgaria Protest: बांग्लादेश और नेपाल के बाद अब एक और देश में लोग सड़क पर उतर आए हैं. भ्रष्टाचार को लेकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. हम बात कर रहे हैं बुल्गारिया की. बुल्गारिया की राजधानी सोफिया में हजारों लोग इकट्ठा हुए और सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री रोसेन जेलियाजकोव के इस्तीफे की मांग की.
लोगों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए प्रधानमंत्री रोसेन जेलियाजकोव को झुकना पड़ा और उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया. नेशनल असेंबली में इस्तीफे की घोषणा करते हुए जेलियाजकोव ने कहा, “हम नागरिकों की आवाज सुनते हैं, हमें उनकी मांगों के लिए आवाज उठानी चाहिए. युवा और बुजर्ग दोनों ने इस्तीफे के पक्ष में अपनी आवाज उठाई. इस नागरिक भावना को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.”
पीएम ने प्रदर्शनकारियों से क्या कहा?
साथ ही उन्होंने कहा, “प्रदर्शनकारियों को यह बताना होगा कि वे सरकार की कैसी रूपरेखा देखना चाहते हैं. देश के नागरिकों को विरोध करने वाले नेताओं से यह मांग करनी चाहिए. यह एक ऐसी सरकार की मांग है जो पिछली सरकारों की उपलब्धियों पर आगे बढ़े, लेकिन एक अच्छे बदलाव के जरिए.”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोफिया में प्रदर्शन करने वाले लोगों की संख्या 100,000 से ज्यादा थी. इस विरोध प्रदर्शन के दौरान सोफिया के विश्वविद्यालयों के स्टूडेंट्स भी शामिल हुए. पिछले हफ्ते भी ऐसे विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था, जिसमें 50,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे.
क्यों शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन
बुल्गारिया के 25 से ज्यादा बड़े शहरों में अलग-अलग जगहों पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें प्लोवदिव, वर्ना, वेलिको टार्नोवो और रजग्राद शामिल हैं. .लोगों का विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुआ था, जब सरकार ने आने वाले साल के लिए एक विवादित ड्राफ्ट बजट पेश किया.
बजट में इनकम टैक्स और सोशल सिक्योरिटी कंट्रीब्यूशन दोनों बढ़ाने का जिक्र था. सरकार लोगों का खर्च बढ़ाने के एक बड़े प्लान को फंड करने के लिए ये करना चाहती थी. ऐसे में विपक्षी दलों के साथ-साथ लोगों ने इस ड्राफ्ट का विरोध शुरू कर दिया. बता दें कि रोसेन जेलियाजकोव पांच साल में इस पद पर आने वाले छठे व्यक्ति थे.
बांग्लादेश और नेपाल में हुई थी हिंसा
गौरतलब है कि बांग्लादेश में भी बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा था. वहीं नेपाल में भी बड़े पैमाने पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था, जिसके बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया था.

