US News: राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने बुधवार को नए दस्तावेज जारी किए, जिनमें ओबामा पर 2016 के चुनाव में अमेरिकी खुफिया जानकारी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है। गबार्ड ने कहा कि ओबामा ने इस झूठ को बढ़ावा दिया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और रूसी सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को 2016 का चुनाव जीतने में मदद की थी। तुलसी गबार्ड ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि, “अमेरिकी इतिहास में खुफिया जानकारी के सबसे भयावह हथियारीकरण और राजनीतिकरण के नए सबूत सामने आए हैं।
ट्रंप के निर्देश पर रिपोर्ट सार्वजनिक
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर, मैंने हाउस इंटेलिजेंस कमेटी की निगरानी रिपोर्ट सार्वजनिक की है, जिससे पता चलता है कि कैसे ओबामा प्रशासन ने जनवरी 2017 के इंटेलिजेंस कम्युनिटी असेसमेंट को गढ़ा था, जिसके बारे में उन्हें पता था कि वह गलत था। उन्होंने इस झूठ को बढ़ावा दिया कि व्लादिमीर पुतिन और रूसी सरकार ने राष्ट्रपति ट्रंप को 2016 का चुनाव जीतने में मदद की थी। ऐसा करके, उन्होंने अमेरिकी जनता की इच्छाशक्ति को कुचलने की साजिश रची, मीडिया में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इस झूठ को बढ़ावा दिया, ताकि राष्ट्रपति ट्रंप की वैधता को कमज़ोर किया जा सके।”
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इन लोगों पर झूठी रिपोर्ट गढ़ने का लगाया आरोप
उन्होंने पूर्व डीएनआई जेम्स क्लैपर, सीआईए निदेशक जॉन ब्रेनन और एफबीआई निदेशक जेम्स कॉमी पर झूठी खुफिया रिपोर्ट तैयार करने का आरोप लगाया। गबार्ड ने इसे एक ‘देशद्रोही साजिश’ करार दिया और कहा कि यह सब ट्रंप को कमजोर करने की एक लंबे समय से चली आ रही साजिश की नींव थी। गबार्ड ने दावा किया कि ओबामा प्रशासन ने मीडिया में झूठी खबरें फैलाने के लिए जानबूझकर गोपनीय जानकारी लीक की। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन पोस्ट जैसे प्रमुख मीडिया संस्थानों ने यह खबर फैलाई कि रूस ने साइबर हमले के जरिए ट्रंप की जीत में दखल अंदाजी की।
गबार्ड के अनुसार, 6 जनवरी, 2017 को जारी नई खुफिया रिपोर्ट भी एक फर्जी दस्तावेज़ पर आधारित थी, जिसे पहले ही अविश्वसनीय माना जा चुका था। इस तरह ओबामा ने सालों तक ट्रंप के खिलाफ एक असफल तख्तापलट की कोशिश की। दूसरी ओर, गबार्ड के इस बयान के खिलाफ ओबामा कार्यालय के प्रवक्ता पैट्रिक रोडेनबुश ने कहा, ये आरोप हास्यास्पद हैं और ध्यान भटकाने की एक कमजोर कोशिश है।

