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बादशाह ही नहीं, इन लोगों से भी संबंध बनाने को मजबूर थीं हरम की औरतें! रचा जाता था पूरा खेल

Mughal Harem Women: मुगल हरम की औरतों की जिंदगी दूर से शान और शौकत से भरी लगती थी. लेकिन, असल में वह किसी गुलाम से कम नहीं थीं. बादशाह जैसे चाहता था वैसे हरम की औरतों का इस्तेमाल करता था.

Published by Prachi Tandon

Mughal Harem Dark Secrets: मुगल इतिहास का जब-जब जिक्र किया जाता है, तब-तब उनकी शान और शौकत के साथ हरम की चर्चा भी छिड़ जाती है. मुगलों के समय में हरम एक अहम महत्व रखता था. यहां हजारों महिलाएं रहती थीं, जिसमें बादशाह की बेगमों से लेकर रखैलें रहती थीं. यहां रहने वालीं औरतों का बाहर की दुनिया से पूरी तरह से वास्ता टूट जाता था और पूरी जिदंगी वह चाहरदीवारी में गुजार देती थीं. 

मुगल हरम में रहने वालीं सभी औरतों के जीवन का एक ही मकसद होता था बादशाह की नजरों में आना और उन्हें रिझा लेना. क्योंकि, अगर बादशाह का दिल जा गया तो वह उसे अपने साथ सैर-सपाटे से लेकर दूसरे राज्यों के उत्सवों में भी ले जा सकता है. ऐसे में हरम की औरतें बादशाह तक पहुंच बनाने और उनका दिल जीतने के लिए कुछ भी करती थीं. 

बादशाह के अलावा नहीं थी किसी से संबंध बनाने की इजाजत

कई इतिहासकारों ने मुगलों के हरम का जिक्र किया है. जहां बताया गया है कि हरम की औरतों को सिर्फ मुगल बादशाह के साथ सोने और संबंध बनाने की इजाजत होती थी. इसके अलावा अगर वह किसी दूसरे के साथ संबंध बनातीं या प्रेम-प्रसंग करती थीं, तो उन्हें खौफनाक सजा दी जाती थी. लेकिन, मुगल हरम में बादशाह की पाबंदियों और नियमों के पीछे ऐसे बहुत खेल रचे जाते थे. 

बादशाह के अलावा किन लोगों से संबंध बनाती थीं हरम की औरतें?

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मुगल हरम की औरतें कई बार बादशाह के खास लोगों या अधिकारियों के साथ भी संबंध बनाती थीं. ऐसा वह इसलिए करती थीं कि जिससे बादशाह के सामने उनका नाम पहुंच सके. आजकल की भाषा में कहें तो बादशाह के सामने पहुंचने के लिए वह रेफरेंस लेती थीं और रेफरेंस के बदले उन्हें बादशाह के खास लोगों के साथ संबंध बनाने पड़ते थे. 

कुछ मामलों में दरबार के वजीर या सेनापति अपने राजनीतिक फायदों या शारीरिक हवस मिटाने के लिए हरम की औरतों का इस्तेमाल करते थे. इतना ही नहीं, यह खेल इतना घिनौना होता था कि बादशाह के राज और जानकारी निकलवाने के लिए भी हरम की औरतों को बहलाया और फुसलाया जाता था. इसे आजकल की भाषा में हम हनीट्रैप भी कह सकते हैं. 

खौफनाक होता था आखिर में अंजाम!

वहीं, अगर बादशाह को हरम की औरतों की गलती या किसी चाल के बारे में पता चल जाता था तो खौफनाक से खौफनाक अंजाम दिया जाता था. कई बार तो बादशाह बिना किसी का पक्ष सुने ही सीधा सजा-ए-मौत दे दिया करते थे. 

Prachi Tandon
Published by Prachi Tandon

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