2500-Year-Old Skulls Digital Makeover: मदुरै कामराज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। यह प्रकृति के नियमों को उलटने जैसा है, जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है। दरअसल, शोधकर्ताओं ने 2500 साल पुरानी दो खोपड़ियों को डिजिटल रूप से ‘जीवित’ कर दिया है। ये खोपड़ियाँ तमिलनाडु के कीलाडी में खुदाई के दौरान मिलीं।
TV9 ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि ये दोनों मानव खोपड़ियाँ तमिलनाडु के कोंडागई में मिलीं, जो कीलाडी से सिर्फ़ ढाई मील (यानी 4 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है। वैज्ञानिकों ने खोपड़ी के दांतों का इस्तेमाल किया और डिजिटल सॉफ्टवेयर की मदद से मांसपेशियाँ, मांस और त्वचा जोड़ी। चेहरे का रंग आज के तमिल लोगों के रंग पर आधारित है। इस तरह, 2500 साल पुराना एक प्राचीन तमिल का चेहरा हमारे सामने आया है।
डीएनए से होगी पूरी जाँच
मदुरै कामराज विश्वविद्यालय में आनुवंशिकी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर जी कुमारेसन के अनुसार उनकी टीम अब इन खोपड़ियों से डीएनए निकालने का प्रयास कर रही है। उनका लक्ष्य प्राचीन लोगों की जीवनशैली और रहन-सहन की आदतों को समझना है। हालाँकि, यह कार्य काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि कंकाल काफी क्षतिग्रस्त हैं।
प्रोफेसर कुमारेसन ने यह भी बताया कि कीलाडी के लोग कृषि, व्यापार और पशुपालन में लगे हुए थे। वे हिरण, बकरी और जंगली सूअर जैसे जानवर पालते थे और चावल, बाजरा और खजूर खाते थे।
7500 साल पुरानी उन्नत नगरीय सभ्यता
बता दें कि कीलाडी में पुरातत्व विभाग द्वारा प्राप्त साक्ष्यों, जैसे ईंट के घर, नालियाँ और मिट्टी के बर्तनों से पता चला है कि लगभग 7500 साल पहले यहाँ एक अत्यंत उन्नत नगरीय सभ्यता विद्यमान थी। इसके आधार पर कहा जा रहा है कि दक्षिण भारत में भी सिंधु घाटी जैसी एक स्वतंत्र और विकसित नगरीय सभ्यता थी। यह खोज भारत की प्राचीन सभ्यता को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

