Noida Nithari Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) मे मंगलवार, 11 नवंबर को निठारी हत्याकांड (Nithari Case) से जुड़े एक अंतिम मामले में आरोपी सुरेंद्र कोली की सजा को रद्द कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ (B.R. Gavai, Justice Suryakant and Justice Vikram Nath) की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की. तीनों जज ने कोली द्वारा दायर क्युरेटिव याचिका को स्वीकार कर लिया. दरअसल यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के साल 11 के फैसले के खिलाफ थी, जिसमें उसकी सजा को बरकरार रखा गया था.
सुरेंद्र कोली सभी मामलों में हुआ बरी
दरअसल, सुरेंद्र कोली ने क्युरेटिव याचिका इस आधार पर दायर की थी कि उसे बाकी 12 मामलों में बरी किया जा चुका है, बस एक ही बचा है. जज विक्रम नाथ ने मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि “मामले के दोषी सुरेंद्र कोली को सभी आरोपों से बरी किया जाता है. इसके साथ ही 2011 में सजा को बरकरार रखने का फैसला और साल 2014 का वो आदेश जिसमें पुनर्विचार याचिका खारिज की गई थी. इन दोनों को ही खारिज कर दिया गया है. अब वह सभी मामलों से बरी हो चुके हैं.”
क्युरेटिव याचिका में दिए गए मजबूत तर्क
सुरेंद्र कोली ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की अपनी क्युरेटिव याचिका में दलील दी कि जिन सबूतों के आधार पर उसे दोषी ठहराया गया था. वह सभी सबूत अविश्वसनीय पाए गए हैं. जिनमें उन्हें बरी किया जा चुका है.
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क्या है निठारी कांड?
निठारी कांड का पर्दाफाश 29 दिसंबर 2006 को हुआ था. दरअसल पुलिस को नोएडा के निठारी गांव में मोनिंदर सिंह पंधेर की कोठी के पीछे नाले में 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे. इन्हीं हत्याओं के आरोप में मोनिंदर सिंह पंधेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को पुलिस गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद गाजियाबाद स्थिति सीबीआई कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. इसके बाद साल 2007 को दोनों को सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया. यहां से इन्हें 14 दिनों के लिए दोनों को सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया. मोनिंदर सिंह पंढेर पर हल्के आरोप लगाए गए थे. लेकिन सुरेंद्र कोली पर बलात्कार, अपहरण और हत्या के आरोप लगे थे. जिन मामलों में सुनवाई होती रही.
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