आईआईटी कानपुर में आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या की पीछे की वजह जानकर हैरान हो जाएंगे आप

आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) में आत्महत्या की बढ़ती संख्या (Suicidal Cases) ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पिछले 22 महीनों में 7 छात्रों ने अपनी जान दे दी है, जिससे संस्थान की काउंसलिंग (Counselling) और सुरक्षा व्यवस्था (Security System) पर प्रश्नचिन्ह लग गया है.

Published by DARSHNA DEEP

Rising number of suicides at IIT Kanpur: उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित संस्थान में छात्रों की आत्महत्या के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. पिछले 22 महीनों में आईआईटी कानपुर में 7 छात्रों ने आत्महत्या की थी, जिसमें शोध सहायक से लेकर बीटेक के अंतिम  साल के  छात्र तक शामिल हैं. हाल ही में 1 अक्टूबर को धीरज सैनी नाम के लड़के की मौत हो गई. इस घटना के बाद से एक  बार फिर से आईआईटी कानपुर पर कई सवाल खड़े होना शुरू हो गए हैं. 

छात्र कल्याण व्यवस्था पर सवाल:

आईआईटी कानपुर में स्थापित काउंसलिंग और हेल्प तंत्र की प्रभावशीलता पर अब कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं. संस्थान में काउंसलिंग तंत्र धीरज सैनी जैसे होनहार छात्र के मन की बात को समझने  में एक बार फिर पूरी तरह से विफल साबित हो गया. 

प्रशिक्षण और एडवाइजर:

संस्थान में प्रिवेंशन ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन के जरिए से प्रशिक्षण दिया जाता है और हर 30 स्नातक छात्रों पर एक फैकल्टी एडवाइजर भी तैनात रहता है, लेकिन इसके बावजूद भी  ये सुरक्षा कवच छात्रों को आत्महत्या जैसे अंतिम कदम उठाने पर मजबूर कर देती है.

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प्रशासन की बढ़ती लापरवाही:

धीरज सैनी के मामले में आईआईटी प्रशासन की लापरवाही भी सामने आ गई है. जहां, मृतक के शव को दो दिनों तक हॉस्टल के कमरे में रखा गया था. न तो किसी वार्डन को इस घटना के बारे में सूचना दी गई और न ही किसी छात्र ने उसे तलाश करने की कोशिश भी की. तो वहीं, इस घटना पर कुछ लोगों ने कहा कि संस्थान में छुट्टी का माहौल था और जिम्मेदार अधिकारी भी बाहर थे. जिसकी वजह से कमरे का दरवाजा बंद होने पर किसी को शक तक नहीं हुआ था. 

यह घटना दर्शाती है कि आईआईटी प्रशासन को मौजूदा काउंसलिंग और हेल्प तंत्र की समीक्षा कर ठोस निगरानी व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर जल्द से जल्द लगाम लगाया जा सके. 

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