Kanpur News: कानपुर में BJP के “करीबी वकील” की गिरफ्तारी पर सियासी घमासान, अखिलेश यादव ने उठाए सवाल

गिरफ्तारी के बाद दुबे और उसके गैंग के खिलाफ 32 तहरीरें पुलिस के पास पहुंच चुकी हैं,

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कानपुर से ज़ेबा की रिपोर्ट: कानपुर में वकील अखिलेश दुबे की गिरफ्तारी के बाद अब यह मामला राजनीति में गरमा गया है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर योगी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि दुबे भाजपा का करीबी है, इसलिए उसके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं हो रही।

अखिलेश यादव ने कहा कि “सुना है कानपुर में बीजेपी का बहुत खास पकड़ा गया है। अखिलेश दुबे पार्टी का इतना करीबी है कि वो भाग भी नहीं पाया। अगर भाग जाता तो अंडरग्राउंड हो जाता।” उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा से जुड़े लोग चाहे सरकारी जमीन कब्जा करें, तालाब पर अवैध निर्माण करें या सरकारी पैसों में हेराफेरी करें, उनके खिलाफ कभी बुलडोजर नहीं चलता।

2500 करोड़ की संपत्तियों पर कब्जे का आरोप

अखिलेश दुबे पर आरोप है कि उसने करीब 2500 करोड़ की सरकारी संपत्तियों पर कब्जा कर रखा था। इन संपत्तियों पर स्कूल और गेस्ट हाउस संचालित किए जा रहे थे। यही नहीं, उसने झूठे रेप और पॉक्सो केस में लोगों को फंसाकर करोड़ों की रंगदारी भी वसूली। एसआईटी की जांच में अब तक 54 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें से 10 से 12 सीधे दुबे से जुड़े पाए गए।

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जांच में सामने आया कि दुबे ने भाजपा नेता रवि सतीजा को भी नहीं छोड़ा। सतीजा के साथ संपत्ति विवाद में दबाव बनाने के लिए उनके खिलाफ झूठा रेप केस दर्ज करा दिया गया। बाद में उन्होंने दुबे को पैसे देकर समझौता किया। SIT की जांच में सतीजा ने यह पूरा सच उजागर कर दिया।

पुलिस कार्रवाई पर सवाल

गिरफ्तारी के बाद दुबे और उसके गैंग के खिलाफ 32 तहरीरें पुलिस के पास पहुंच चुकी हैं। इनमें से 9 गंभीर मामलों की जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। चर्चा यह है कि दुबे के करीबी अफसरों ने लखनऊ स्तर से पूरा मामला “मैनेज” कर लिया है, जिसके चलते नए केस दर्ज नहीं हो रहे।

सियासी गर्मी तेज

पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार दबाव में काम कर रही है और दुबे जैसे लोगों पर कार्रवाई रोक दी गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब विपक्षी नेताओं और उनके समर्थकों पर बुलडोजर चल सकता है तो दुबे पर क्यों नहीं? अब देखना होगा कि कानपुर पुलिस और जिला प्रशासन इस हाईप्रोफाइल केस में आगे क्या कदम उठाते हैं।

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