World Championships 2025: भारत के स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने 84.50 मीटर के ऑटोमेटिक क्वालिफिकेशन मार्क को आसानी से पार कर विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 (World Athletics Championships 2025) के पुरुष वर्ग के फाइनल में प्रवेश कर लिया. चोपड़ा ने अपने पहले ही प्रयास में 84.85 मीटर का थ्रो किया, जो खिताबी मुकाबले में उनकी जगह पक्की करने के लिए पर्याप्त था.
ओटोमेटिक कवालिफिकेशन मार्क
चोपड़ा ने अपने नाम के आगे “Q” आने के बाद जो ऑटोमेटिक क्वालिफिकेशन मार्क का संकेत था आगे कोई प्रयास नहीं करने का फैसला किया. उस समय ग्रुप ए में छह एथलीट भाला फेंक चुके थे, और नीरज ही ऑटोमेटिक क्वालिफिकेशन मार्क को पार करने वाले एकमात्र एथलीट थे, जिसने वैश्विक मंच पर उनके दबदबे को बरकरार रखा.यह योग्यता चोपड़ा के करियर में एक विशेष उपलब्धि भी है.
इससे पहले भी कर चुके हैं ये कारनामा
बता दें कि यह लगातार पांचवीं वैश्विक चैंपियनशिप है जिसमें उन्होंने केवल एक थ्रो के साथ फाइनल में जगह बनाई है. इससे पहले सिलसिला टोक्यो 2021 ओलंपिक, ओरेगन 2022 विश्व चैंपियनशिप, बुडापेस्ट 2023 विश्व चैंपियनशिप, पेरिस 2024 ओलंपिक में भी ये कारनामा किया है.
चोपड़ा के सुरक्षित रूप से आगे बढ़ने के साथ, अब सभी की नज़रें साथी भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी सचिन यादव पर टिकी हैं, जो ग्रुप ए में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और फाइनल में उनके साथ शामिल होने का लक्ष्य बना रहे हैं.
जूलियन वेबर फाइनल में नीरज के साथ
जर्मनी के जूलियन वेबर 87.21 मीटर का शानदार थ्रो दर्ज करके विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने वाले दूसरे एथलीट बन गए हैं. इस प्रयास के साथ, वेबर भारत के नीरज चोपड़ा के साथ शामिल हो गए हैं, जिन्होंने पहले 84.85 मीटर के निशान के साथ क्वालीफाई किया था.
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आज टोक्यो में 90 मीटर थ्रो क्यों नहीं हो रहे हैं?
जो दर्शक 90 मीटर से ज़्यादा के शानदार थ्रो की उम्मीद कर रहे हैं, उन्हें इंतज़ार करना पड़ सकता है. जापानी राजधानी में इस समय असामान्य रूप से गर्मी और उमस का मौसम है, जिससे एथलीटों के लिए भाले को अच्छी तरह से पकड़ना मुश्किल हो रहा है. ये चिपचिपी परिस्थितियां यूरोप के ठंडे मौसम के बिल्कुल विपरीत, जहां ज़्यादातर शीर्ष खिलाड़ी प्रशिक्षण लेते हैं, एक बड़ी चुनौती साबित हो रही हैं. नमी को नियंत्रित करना उतना ही ज़रूरी होगा जितना कि तकनीक को निखारना. यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि 2021 में टोक्यो ओलंपिक में भी, जीत का आंकड़ा 90 मीटर की बाधा को तोड़ने के बजाय 87.58 मीटर पर था.

