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Vivah Panchami 2025: शुभ दिन होने पर भी विवाह पंचमी के दिन क्यों नहीं होते विवाह, जानें खास वजह

Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी का पर्व हिंदू धर्म में एक खास पर्व माना जाता है. लेकिन खास होने के बावजूद भी इस खास पर्व के दिन विवाह नहीं किए जाते. जानें आखिर क्यों इस दिन विवाह का आयोजन नहीं किया जाता.

Published by Tavishi Kalra

Vvah Panchami 2025: हिंदू धर्म में हर तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. विवाह पंचमी का दिन वह शुभ दिन है जिस दिन प्रभु श्री राम और माता-सीता का विवाह हुआ था. इसीलिए इस दिन को बेहद शुभ माना जाता है और विवाह पंचमी कहते हैं. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि के दिन हुआ था. इसीलिए इस दिन को भगवान श्रीराम और देवी सीता के विवाह की वर्षगांठ या सालगिरह के रूप में मनाया जाता है.

साल 2025 में विवाह पंचमी का पर्व 25 नवंबर 2025, मंगलवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन को शुभ माना जाता है लेकिन इस खास पर्व के दिन विवाह का आयोजन नहीं किया जाता है.

क्यों नहीं होते इस दिन विवाह?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम और माता सीता ने अपने जीवन में अनेक कष्टों और मुश्किलों का सामना किया. विवाह के तुरंत बाद दोनों को 14 साल के वनवास पर जाना पड़ा, माता  सीता को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी, फिर जीवन में उतार-चढ़ाव के चलते उन्हें अपने पुत्रों के साथ राज्य का परित्याग करना पड़ा. इसीलिए इस दिन को शादी के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता.

विवाह पंचमी का महत्व

विवाह पंचमी के दिन को देवताओं के मिलन के क्षण के रूप में माना जाता है. इस दिन भगवान राम का पूजन करने से दाम्पत्य जीवन में सुख-सौभाग्य एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन मंगलमय वैवाहिक जीवन की कामना से प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.

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विवाह पंचमी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला है शुभ पर्व है. यह पर्व भगवान श्रीराम और माता सीता के अलौकिक विवाह की स्मृति में मनाया जाता है. इस पर्व को विशेष रूप से मिथिला और अयोध्या के साथ पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है.

विवाह पंचमी 2025 पूजन-विधि (Vivah Panchami 2025 Pujan Vidhi)

  • इस दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें.
  • भगवान राम और देवी सीता की प्रतिमाओं को साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर स्थापित करें.
  • श्री राम और माता सीता का विधिपूर्वक पूजन करें.
  • धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प, फल और पंचामृत से भगवान राम और  माता सीता का अभिषेक करें.
  • विवाह पंचमी की कथा के रूप में वाल्मीकि रामायण अथवा रामचरितमानस के सीता-स्वयंवर और विवाह प्रसंग का पाठ करें.
  • सन्ध्या के समय विवाहोत्सव का आयोजन करें.
  • श्रीसीताराम के विवाह की झांकी, भजन-कीर्तन और मंगल गीत गाएं.

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