Tulsi Vivah 2025 Puja Vidhi: तुलसी विवाह का पर्व दिव्य मिलन और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. ये हर साल कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दूसरे दिन यानी कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है. ये विवाह सृष्टि में शुभता और समृद्धि लाने का प्रतीक है. इस दिन माता तुलसी, जो लक्ष्मी का स्वरूप हैं और भगवान शालिग्राम जो विष्णु जी के अवतार हैं उनका सारे धार्मिक अनुष्ठानों के साथ विवाह संपन्न किया जाता है.
इस विवाह में दीपदान का भी विशेष महत्व है क्योंकि दीपक ज्ञान, धर्म और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है. इसे जलाने से जीवन में अंधकार मिटता और घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है. आज 2 नवंबर को द्वादशी की शुरुआत सुबह 7 बजकर 31 से हो चुकी है और इसका समापन 3 नवंबर को सुबह 5 बजकर 7 मिनट पर हो जाएगा.
दीपदान का धार्मिक अर्थ क्या होता है?
दीप जलाना केवल पूजा के उद्देश्य से नहीं किया जाता है, बल्कि यह अंधकार से प्रकाश की यात्रा का प्रतीक माना जाता है. तुलसी विवाह के समय दीपदान का अर्थ है जीवन से नकारात्मकता, अज्ञान और दुख को दूर करना. जीवन में शुभता, ज्ञान, प्रेम और प्रकाश का स्वागत करना.
धर्मग्रंथों में कहा गया है कि तुलसी विवाह के दिन जलाया गया दीपक पूरे वर्ष घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है. यह घर में लक्ष्मी कृपा, धन-लाभ और वैवाहिक सुख का संचार करता है. तुलसी माता स्वयं लक्ष्मी का रूप हैं, अतः दीप जलाकर उन्हें प्रसन्न करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है.
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दीपदान की सही दिशा और पूजा विधि
तुलसी विवाह के समय पूजा पूर्व दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए. पूर्व दिशा सूर्यदेव और भगवान विष्णु की मानी जाती है जो जीवन में ज्ञान, प्रकाश और ऊर्जा का प्रवाह करती है. तुलसी के पौधे के सामने एक या चार दीपक जलाना काफी शुभ माना जाता है. दीपक शुद्ध देशी घी का हो तो सर्वोत्तम है, अगर घी नहीं है तो आप तेल का भी दीपक जला सकते हैं.

