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Shardiya Navratri 2025: 22 सितंबर से शुरू हो रहे हैं शारदीय नवरात्र, जानें पहले दिन जौ उगाने की विधि

Shardiya Navratri 2025: साल 2025 में 22 सितंबर, सोमवार के दिन शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो रही है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने का खास महत्व है. इस दिन कलश के आसपास मिट्टी में जौ भी बोई जाती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा करने से आपके घर पर सुख-समृद्धि का वास होता है और जौ बोने से सुख-संपत्ति की प्राप्ति भी होती है. तो आइए जानते हैं कि जौ उगाने की सही विधि क्या है?

Published by Shivi Bajpai

Shardiya Navratri Mei Jau Ugana: हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है. साल में दो बार नवरात्रि का पर्व आता है: चैत्र और शारदीय. इनमें से शारदीय नवरात्र का महत्व और भी अधिक माना जाता है क्योंकि यह त्योहार देवी दुर्गा की आराधना और विजयादशमी की ओर ले जाता है. वर्ष 2025 में शारदीय नवरात्र का आरंभ 22 सितंबर, सोमवार से हो रहा है और इसका समापन 30 सितंबर, मंगलवार को होगा. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना एवं जौ बोने की परंपरा निभाई जाती है. आइए जानें जौ उगाने की विधि और इसके धार्मिक महत्व.

नवरात्रि में जौ बोने का महत्व

नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा की मूर्ति या कलश के पास मिट्टी से भरे पात्र में जौ बोए जाते हैं. जौ उगाना शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. ऐसा विश्वास है कि इन जौओं की बढ़त से परिवार के भाग्य और घर की समृद्धि का अनुमान लगाया जा सकता है. यदि जौ हरे-भरे और स्वस्थ उगते हैं तो इसे घर में खुशहाली और उन्नति का सूचक माना जाता है.

जौ उगाने की विधि

सामग्री तैयार करें – जौ के बीज, मिट्टी से भरा छोटा पात्र या मिट्टी का कलश, गंगाजल, रोली, अक्षत और लाल कपड़ा.

स्नान व पूजा के बाद – सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर के पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें.

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कलश स्थापना – मिट्टी के पात्र या वेदी पर मिट्टी फैलाकर उसमें जौ बोएं. फिर उसके ऊपर हल्की मिट्टी की परत डालें और गंगाजल छिड़कें.

कलश रखें – पात्र के बीच में कलश स्थापित करें. कलश पर रोली, मौली और स्वस्तिक बनाएं. उसमें जल, आम्रपल्लव और नारियल रखें.

दैनिक देखभाल – नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक जौओं पर हल्का जल छिड़कते रहें ताकि वे अच्छे से अंकुरित हों.

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धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र में उगे जौ फसल की स्थिति और जीवन की उन्नति का प्रतीक होते हैं. विजयादशमी के दिन इन जौओं को पूजा करके घर में शुभ कार्यों में प्रयोग किया जाता है. इन्हें कान के पीछे लगाने और घर में रखने से बुरी शक्तियां दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

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