Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि की शुरूआत 22 सितंबर से हो चुकी है और इसका समापन 2 अक्टूबर को होगा. ये त्योहार पूरे देश में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. आज 25 सितंबर को नवरात्रि की चतुर्थी तिथि है. ये दिन मां दुर्गा के चौथे रूप मां कूष्मांडा को समर्पित है. तो आइए जानते हैं कि इस दिन का क्या महत्व है और आप कैसे मां दुर्गा की आराधना कर सकते हैं.
चतुर्थी तिथि का धार्मिक महत्व
नवरात्र की चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि कूष्मांडा देवी के आशीर्वाद से साधक के जीवन में ऊर्जा, आत्मविश्वास और नई संभावनाओं का संचार होता है. जिन लोगों के जीवन में निराशा या अवसाद की स्थिति रहती है, उनके लिए यह दिन विशेष लाभकारी होता है. कूष्मांडा माता को ब्रह्मांड की सृष्टि का आरंभ करने वाली शक्ति माना जाता है, इसलिए इनकी उपासना से जीवन में सकारात्मकता का उदय होता है.
पूजा विधि
सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. पूजा स्थल को साफ करके माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. उन्हें पुष्प, फल, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें. विशेष रूप से मालपुआ, कद्दू और दूध से बने व्यंजन चढ़ाना शुभ माना जाता है. लाल और नारंगी रंग के वस्त्र या चुनरी अर्पित करने से माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं.
पूजन के समय निम्न मंत्र का स्मरण किया जा सकता है:
“ॐ कूष्माण्डायै नमः”
इस मंत्र का जप करने से साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सभी प्रकार की रुकावटें दूर होती हैं.
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चतुर्थी तिथि के शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि 2025 की चतुर्थी तिथि का आरंभ प्रातःकाल से होगा और यह दिनभर पूजन के लिए उपयुक्त रहेगा. ब्रह्ममुहूर्त और प्रातःकालीन समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है. भक्त अपनी सुविधा अनुसार दिन के किसी भी पुण्यकाल में माता की आराधना कर सकते हैं.

