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Shardiya Navratri 2025 Mundan Sanskar: क्या बच्चे का मुंडन संस्कार कराने की सोच रहे हैं, तो इस नवरात्र में ही कराएं, जानिए क्यों होता है जरूरी

Shardiya Navratri 2025 Mundan Sanskar: सनातन धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कारों का विशेष महत्व है जिनमें से एक मुंडन संस्कार भी है. नवरात्र का पर्व जहां माता के विभिन्न रूपों की आराधना के लिए है वहीं इसमें छोटे बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया जाता है. वहीं जिन परिवारों में छोटे बच्चे होते हैं वहां उनका मुंडन भी कराया जाता है. मुंडन संस्कार जिसे चूड़ाकर्म भी कहा जाता है, सिर्फ शारदीय नवरात्र में ही कराया जाता है.

Shardiya Navratri 2025 Mundan Sanskar: सनातन धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कारों का विशेष महत्व है जिनमें से एक मुंडन संस्कार भी है. नवरात्र का पर्व जहां माता के विभिन्न रूपों की आराधना के लिए है वहीं इसमें छोटे बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया जाता है. वहीं जिन परिवारों में छोटे बच्चे होते हैं वहां उनका मुंडन भी कराया जाता है. मुंडन संस्कार जिसे चूड़ाकर्म भी कहा जाता है, सिर्फ शारदीय नवरात्र में ही कराया जाता है. 

किस आयु में कराया जाता है मुंडन?

मुंडन कराने की परम्परा क्षेत्र और परिवार के अनुसार होती है. कुछ परिवारों में बच्चे का मुंडन कुलदेवी के मंदिर में कराया जाता है तो कुछ किसी भी देवी मंदिर में जा कर कराते हैं. परिवारों में शिशु का मुंडन जन्म के एक वर्ष के भीतर तो कुछ परिवारों में तीसरे वर्ष के भीतर कराने की परम्परा है. कुछ परिवार ऐसे भी हैं जहां पांचवें या सातवें वर्ष में मुंडन कराया जाता है. आपके घर में भी यदि कोई छोटा बच्चा इस आयु वर्ग का है और नवरात्र में मुंडन संस्कार की परम्परा है तो देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि 22 सितंबर से नवरात्र का प्रारंभ हो कर पहली अक्टूबर को नवमी तिथि है.  

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मुंडन संस्कार की धार्मिक मान्यता

नवरात्र में उपवास, पूजा आदि लोग आत्मिक और शारीरिक शुद्धि के लिए करते हैं उसी तरह मुंडन भी शारीरिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिशु के सिर पर उगने वाले बालों को पूर्व जन्म के कर्मों से जोड़ कर देखा जाता है. ऐसे में मुंडन कराने और बालों का विसर्जन करने से बच्चे को पूर्व जन्म के कर्मों से मुक्ति मिल जाती है. यह कार्य एक नई शुरुआत का संकेत होता है और माना जाता है कि इससे बच्चे को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. सामान्य तौर पर मुंडन बच्चे की बुआ या मां गोद में बच्चे को लिटा कर मुंडन कराया जाता है और निकले हुए बालों को आटे की एक लोई के भीतर लपेट कर गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में विसर्जित कर दिया जाता है. बच्चे के बाल उतारने के बाद उसके सिर को गंगाजल से धुलवा कर हल्दी का लेप लगाया जाता है, जो एंटीसेप्टिक का कार्य करता है.  

वैज्ञानिक कारण भी जानिए

सामान्य तौर पर शारदीय नवरात्र के बाद से ठंड शुरु हो जाती है.  ऐसे में बच्‍चों का मुंडन करवाने पर उनके सिर को सीधी धूप मिलती है. इससे बच्चे के मस्तिष्क को विटामिन डी मिलता है और जो मानसिक विकास में सहायक होता है. चिकित्सकों के अनुसार बच्चे के जन्म के समय सिर की सभी हड्डियां नहीं जुड़ पाती हैं, जिसके कारण सिर काफी मुलायम होता है इसलिए जन्म के तुरंत बाद बालों को नहीं कटाना चाहिए. दूसरे सिर के मुलायम होने से रेजर का कट लगने की संभावना रहती है जिससे ब्रेन इंजरी भी हो सकती है.

Pandit Shashishekhar Tripathi

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