शनि साढ़ेसाती जीवन में कठिनाई लाती जरूर है, लेकिन ये आत्म‑परिवर्तन, धैर्य और व्यक्तिगत विकास की भी राह खोलती है। 2025 का यह शनि गोचर राह दिखा रहा है कि सही दिशा में कार्य, संयम और आध्यात्मिक संकल्प से किसी भी राह में प्रकाश संभव है।
29 मार्च 2025 शाम 10:07 बजे शनि ने कुंभ से निकलकर मीन राशि में प्रवेश किया, जिससे मेष राशि वालों के लिए साढ़ेसाती की पहली अवस्था शुरू हो गई। यह अवधि लगभग 7 ½ वर्षों तक चलने वाली साढ़ेसाती का प्रारंभिक चरण है।
अब शनि अपनी चाल बदलने वाला है। इसका मतलब है कि शनि अब मेष राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करने जा रहा है। तो चलिए जानते हैं कि वो कौन सी राशि है जिसपर अब शनि की साढे़साती का प्रकोप बरसने वाला है।
किन राशियों पर क्या असर?
मेष (Aries)- साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू: अचानक जिम्मेदारियों में वृद्धि, वित्तीय अस्थिरता और आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता। यह अवधि उन्हें संयम, धैर्य और दीर्घकालिक योजना की सीख देगी।
वृषभ राशि (Taurus)- सबसे कठिन दूसरे चरण में प्रवेश: भावनात्मक चुनौतियां, करियर और रिश्तों में बदलाव, तनाव, लेकिन आत्म-परिवर्तन और मानसिक मजबूती का समय भी है। बता दें इस राशि में 3 जून 2027 तक शनि विराजमान रहेंगे। वृषभ राशि वालों के लिए साढ़ेसाती का सबसे मुश्किल समय 8 अगस्त 2029 से लेकर 31 मई 2032 तक रहेगा। इस समय वृषभ वालों पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा होगा जो कि सबसे मुश्किल चरण माना जा रहा है। इस वक्त साढ़ेसाती अपने चरम पर होगी। ये चरण सबसे कष्टदायी माना जाता है।
कुंभ (Aquarius)- तीसरे और अंतिम चरण में संक्रमण: पिछले वर्षों की संघर्षपूर्ण अवधि खत्म हो रही है; सावधानी आवश्यक लेकिन राहत की शुरुआत भी है।
मकर (Capricorn)- साढ़ेसाती से मुक्ति: 29 मार्च 2025 तक साढ़ेसाती का चक्र पूर्ण हुआ और इस राशि के लोग इससे बाहर निकल चुके हैं।
1- दान और सेवा:
काले तिल, काला कपड़ा, सरसों का तेल आदि दान करना शुभ माना जाता है
2- स्वस्थ जीवनशैली:
नियमित ध्यान, संयमित आहार और मेहनत से शनि की कठोरता को कम किया जा सकता है।
3- शनि पूजा और मंत्र जाप:
शनिवार को शनि मंदिर जाकर तेल अर्पित करें, “ॐ शनैश्चराय नमः” जैसा शनि बीज मंत्र जप करें।

